श्रीगुरु उवाच


‘बुद्धिवादियोंमें यह अहंकार होता है कि ‘मुझे सब पता है’; इसलिए उन्हें किसी भी विषयका पूर्ण ज्ञान नहीं होता’, इसके विपरीत संतोंमें अहंकार नहीं होता, इसलिए उन्हें ‘शब्दातीत अनेक विषयोंका ज्ञान होता है ।’ – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था



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