दूसरेको स्पर्श होना अपरिहार्य हो, तो नामजप करें !
आजके कालमें ८० प्रतिशत व्यक्तियोंको अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होनेसे दूसरोंका स्पर्श होनेवाला हस्तान्दोलन न कर, नमस्कार करें ! नमस्कारकी मुद्रामें दूसरोंका स्पर्श न होनेसे उनमें स्थित अनिष्ट शक्ति हमारी ओर आकृष्ट नहीं होती है । दूसरोंका केश कर्तन करना, दूसरोंकी मालिश करना, चिकित्सक बनकर दूसरोंकी जांच करना, ऐसे प्रसंगोंमें स्पर्श अपरिहार्य होता है । ऐसी स्थितिमें स्वयंको अनिष्ट शक्तिका कष्ट न हो; इसलिए ऐसे कृत्य करते समय नामजप करें ! – परात्पर गुरु डॉ जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था
साभार : मराठी दैनिक सनातन प्रभात (https://sanatanprabhat.org)
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