‘भक्तोंके पास ही मंदिर होने चाहिए, तभी भगवानकी सेवा भावपूर्ण होगी । सरकारीकरणके कारण मन्दिरमें भगवानकी सेवा भावपूर्ण नहीं होती और सरकारमें चल रहा भ्रष्टाचार मंदिरमें भी होता है । इससे भगवान मंदिरसे चले जाएंगे और भक्तोंको मंदिरमें जानेका लाभ नहीं होगा ।’ – *परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक सनातन संस्था*
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