श्रीगुरु उवाच


पूर्वके युगोंमें प्रजा सात्विक होनेसे ऋषियोंको समष्टि प्रसारकार्य करनेकी आवश्यकता नहीं थी । अब कलियुगमें अधिकांश लोगोंके साधना न करनेके कारण सन्तोंको समष्टि प्रसारकार्य करना होता है !’ – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था



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