‘हमारा पुत्र विदेशमें कार्यरत है’, ऐसा गर्वसे कहनेवाले माता-पिताओ, यह समझ लो !
‘हमारा पुत्र विदेशमें कार्यरत है’, ऐसा गर्वसे कहनेवाले माता-पिताओंको ऐसा कहनेमें लज्जा आनी चाहिए; क्योंकि विदेशमें रहनेके कारण, वह अधिकाधिक मायामें आसक्त होता है । वह भारतमें होता तो उसमें ईश्वरप्राप्तिकी ओर अग्रसर होनेकी कुछ तो सम्भावना रहती । – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था
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