श्रीगुरु उवाच


जिसने सर्वधर्मसमभाव शब्दकी खोजकी और इसे माननेवालोंपर दया आती है; इसलिए कि उन्हें धर्म क्या है, इसका रत्तीभर भी ज्ञान न होते हुए भी इस शब्दको प्रचलित किया और कुछ पीढियोंकी बुद्धि भ्रष्ट करनेका पाप किया ! – परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था



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