अनुभूति
१. प्रत्येक व्यक्तिको उसके स्तरानुसार उस-उस तत्त्वकी अनुभूति होती है; इस कारण सभीको एक जैसी अनुभूति नहीं होती है, अपितु भिन्न-भिन्न अनुभूतियां होती हैं ।
२. कालानुसार कोई तत्त्व अधिक कार्यरत होता है तब उस तत्त्वकी अनुभूतियां होती हैं । – परात्पर गुरु डॉ जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था
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