जुलाई १, २०१८
राष्ट्रपति अशरफ गनीके भ्रमणके पश्चात रविवारको पूर्वी अफगानिस्तानके नांगरहार राज्यकी राजधानी जलालाबादमें सिख अल्पसंख्यकोंके एक वाहनपर आत्मघाती आक्रमणमें बम विस्फोटसे ‘कम से कम’ २० लोगोंकी मृत्यु हो गई, जिनमें स्थानीय सिख व हिन्दू अल्पसंख्यक समुदायके १७ लोग सम्मिलित हैं ! मृतकोंमें सिख समुदायके एक शीर्ष राजनीतिक नेता भी सम्मिलित हैं । २० चोटिलमें भी अधिकतर अल्पसंख्यक समुदायके ही हैं; यद्यपि काबुल स्थित भारतीय दूतावासने १० सिख अल्पसंख्यकोंकी ही मृत्युकी पुष्टिकी है ।
यह विस्फोट नगरके मध्यमें राज्यके राज्यपालके आवाससे कुछ दूरीपर स्थित एक विपणि ‘मुखाबेरात स्कवॉयर’में हुआ, जहां अधिकतर अफगानी अल्पसंख्यक सिखों व हिन्दुओंके व्यापार हैं । राज्यपालके प्रवक्ता अताउल्ला खोगयानीने बताया कि विस्फोट इतना शक्तिशाली था कि इसमें चारों ओरकी दुकानें व मकान ध्वस्त हो गए।
राज्यके पुलिस अधिकारी गुलाम सनायी स्तेनकजाईने बताया कि आत्मघाती आक्रान्ताने राष्ट्रपतिसे मिलने जा रहे सिख अल्पसंख्यकोंके वाहनको लक्ष्य बनाया । विस्फोटका उत्तरदायित्व किसीने नहीं लिया है; लेकिन जलालाबादमें गत कुछ वर्षोके मध्य ‘इस्लामिक स्टेट’के (आईएस) आतंकियोंकी उपस्थिति बढी है ।
माना जा रहा है कि इस आक्रमणमें आगामी अक्तूबरमें होने जा रहे देश के संसदीय मतदानमें भाग लेनेकी घोषणा कर चुके, सिख समुदायके नेता अवतार सिंह खालसा मुख्य लक्ष्य थे, जिनकी विस्फोटमें मृत्यु हो गई है । चोटिलमें सम्मिलित अवतार सिंहके पुत्र नरेन्द्र सिंहने भी समाचार माध्यमोंसे वार्तामें अपने वाहनको लक्ष्य बनाए जानेकी बात स्वीकारी है । राज्य चिकित्सा विभागके प्रवक्ता इनामुल्लाह मियाखेलने बताया कि चोटिलोंका जलालाबादके शासकीय चिकित्सालयमें उपचार चल रहा है । बता दें कि अफगानिस्तानमें सिख-हिन्दू अल्पसंख्यको के लिए संसदमें एक सीट आरक्षित है ।
अधिकारियोंके अनुसार, मृतकोंकी संख्या बढ सकती है; क्योंकि राष्ट्रपतिके भ्रमणके लिए नगरमें यातायातको रोका नहीं किया गया था । राष्ट्रपतिके शासकीय प्रवक्ताने बताया कि गनी एक चिकित्सालयका उद्घाटन करनेके लिए रविवारकी सुबह जलालाबाद पहुंचे थे । ये उनके इस राज्यके दो दिवसीय भ्रमणके कार्यक्रमका एक भाग था और विस्फोटके समय भी वे नांगरहार राज्यमें ही उपस्थित थे; लेकिन विस्फोटके समय वे संकटसे बहुत दूरीपर थे ।
बता दें कि ये आक्रमण राष्ट्रपतिके उस आदेशके एक दिन पश्चात आया है, जिसमें उन्होंने शनिवारको रमजानके समय शासनकी ओरसे घोषित किया गया था । संघर्ष विराम समाप्त हो जानेके कारण अफगान सुरक्षा बलोंको तालिबानके विरुद्ध आक्रामक कार्रवाई करनेका आदेश दिया था ।
बता दें कि इस संघर्षविरामका तालिबान आतंकियोंने स्वागत किया था और शस्त्र छोडकर ईदके समारोहमें सैन्य बलों व स्थानीय लोगोंके साथ सम्मिलित भी हुए थे; लेकिन ‘आईएस’ आतंकियोंने इस सन्धिको नहीं माना था और ईदके समय नांगरहार राज्यमें ही समारोह करते लोगोंके मध्य आत्मघाती आक्रमणकर दर्जनों लोगोंको मार दिया था इसके बाद तालिबानने भी संघर्षविराम समाप्त करनेकी घोषणा करदी थी ।
-८० सहस्त्र सिख व हिन्दू थे, अफगानिस्तानमें वर्ष १९७० में
-१००० सिख व हिन्दू ही बचे हैं इस समय आतंक पीडित देश में
-६० सहस्त्रसे अधिक सिख व हिन्दू ले चुके हैं, भारतमें शरण अब तक, अन्य मारे गए या धर्म परिवर्तन करना पडा
-१९९० में तालिबान शासनके समय सिख-हिन्दुओंको ‘पीले आर्मबैण्ड’ पहनकर अपनी पहचान दिखानी पडती थी
स्रोत : अमर उजाला
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