सूर्य, सात घोडे तथा इनसे सम्बन्धित कुछ रोचक तथ्य (भाग-१)


अद्भुत है सूर्य रथके सात घोडोंसे जुडा विज्ञान !

हिन्दू धर्ममें देवी-देवताओं तथा उनसे जुडी कथाओंका इतिहास अत्यन्त विशाल है अथवा यूं कहें कि कभी न समाप्त होनेवाला यह इतिहास, आज विश्वमें अपनी एक अनूठी पहचान बनाए हुए है । विभिन्न देवी-देवताओंका चित्रण, उनकी वेश-भूषा एवं यहांतक कि वे किस वाहनपर आरूढ होते थे, ये तथ्य भी अत्यन्त रोचक हैं ।

सूर्य रथ :
हिन्दू धर्ममें विघ्नहर्ता भगवान गणेशका वाहन मूषक है । भगवान गणेश, एक मूषक अर्थात चूहेपर सवार होते हैं, जिसे देख प्रत्येक व्यक्ति अचम्भित हो जाता है कि कैसे मात्र एक चूहा उनका भार सम्भालता है । भगवान गणेशके पश्चात यदि किसी देवी अथवा देवताका वाहन सबसे अधिक प्रसिद्ध है तो वे हैं, सूर्यदेव ।

क्यों जुते हैं सात घोडे ? सातकी विशिष्ट सङ्ख्या :
सूर्यदेव सात घोडोंद्वारा चलाए जा रहे रथपर सवार होते हैं । सूर्यदेव, जिन्हें आदित्य, भानु एवं रवि भी कहा जाता है, वे सात विशाल एवं सुदृढ घोडोंपर सवार होते हैं । इन घोडोंका नियन्त्रण अरुण देवके हाथोंमें होता है एवं स्वयं सूर्य देवता पीछे रथपर विराजमान होते हैं ।

सूर्यदेवद्वारा सात ही घोडोंकी ‘सवारी’ क्यों की जाती है ? क्या इस सात सङ्ख्याका कोई विशेष कारण है ? अथवा यह ब्रह्माण्ड, मनुष्य एवं सृष्टिसे जुडी कोई विशेष तथ्य बताती है ? इन प्रश्नोंके उत्तर पौराणिक तथ्योंके साथ-साथ कुछ वैज्ञानिक पक्षोंसे भी सम्बन्ध रखते हैं ।

कश्यप एवं अदितिकी सन्तानें :
सूर्यदेवसे जुडा एक और विशेष तथ्य यह है कि उनके ११ भाई हैं, जिन्हें एकत्रित रूपमें आदित्य भी कहा जाता है । यही कारण है कि सूर्य देवको आदित्यके नामसे भी जाना जाता है । सूर्यदेवके अतिरिक्त ११ भाई, अंश, आर्यमान, भाग, दक्ष, धात्री, मित्र, पुशण, सवित्र, सूर्या, वरुण तथा वमन, सभी कश्यप तथा अदितिकी सन्तानें हैं ।

वर्षके १२ माहके समान :
पौराणिक इतिहासके अनुसार, कश्यप तथा अदितिकी ८ अथवा ९ सन्तानें बताई जाती हैं; किन्तु अनन्तरमें यह सङ्ख्या १२ बताई गई । इन १२ सन्तानोंकी एक बात विशेष है कि सूर्यदेव तथा उनके भाई मिलकर वर्षके १२ माहके समान हैं । अर्थात ये सभी भाई, वर्षके १२ माहको दर्शाते हैं ।

सूर्यदेवकी दो पत्नियां :
सूर्यदेवकी दो पत्नियां, संज्ञा एवं छाया हैं, जिनसे उन्हें सन्तान प्राप्त हुई थी । इन सन्तानोंमें शनिदेव एवं यमराजको मनुष्यका न्यायाधीश माना जाता है । जहां मानव जीवनका सुख तथा दुःख शनिदेवपर निर्भर करता है, वहीं दूसरी ओर शनिके छोटे भाई यमराजद्वारा आत्माकी मुक्ति की जाती है । इसके अतिरिक्त यमुना, तप्ति, अश्विनी तथा वैवस्वत मनु भी सूर्यदेवकी सन्तानें हैं । आगे चलकर मनु ही मानव जातिके प्रथम पूर्वज बने ।

सूर्यदेवका रथ :
सूर्यदेव सात घोडोंवाले रथपर आरूढ होते हैं । इन सात घोडोंके सन्दर्भमें पुराणों तथा वास्तवमें अनेक कथाएं प्रचलित हैं, जिनसे प्रेरित होकर सूर्य मन्दिरोंमें सूर्यदेवकी विभिन्न मूर्तियां भी विराजमान हैं; किन्तु ये सभी उनके रथके साथ ही बनाई जाती हैं ।

कोणार्क मन्दिर :
विशाल रथ एवं साथमें उसे चलानेवाले सात घोडे तथा सारथी अरुण देव, ये किसी भी सूर्य मन्दिरमें विराजमान सूर्यदेवकी मूर्तिका वर्णन है । भारतमें प्रसिद्ध कोणार्कका सूर्य मन्दिर, सूर्यदेव तथा उनके रथको बहुत ही अच्छेसे दर्शाता है ।



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