सुखकी वस्तुएं ही दुःखका बनती हैं मूल कारण !


मायाकी जिस वस्तुसे सुख मिलता है, वही दुःखका कारण बनती है ।

मायाकी जिस वस्तुसे हमें सुख मिलता है, वही हमारे दुःखका कारण बनती है, ऐसा शास्त्र है । जैसे पुत्रका जन्म हो तो सुख मिलता है; किन्तु वह अस्वस्थ हो जाए तो दुःख मिलता है, वह बडा अधिकारी बन जाए तो सुख मिलता है; किन्तु अपने माता-पिताको ही समय नहीं देता तो उन्हें दुःख होता है ।
उसी प्रकार इस विश्वके, वैश्विक ग्राम (ग्लोबल विलेज) बननेके कारण आज सभी देशके लोगोंको अनेक बाह्य सुख प्राप्त हुए हैं, यह बात किसीसे छुपी नहीं है और आज इसी वैश्विक ग्रामके कारण ‘कोरोना’ महामारीके कारण विश्वके अधिकांश देशोंमें करोडों लोग पीडित हो चुके हैं तथा सभी देशोंद्वारा प्रयास करनेपर भी उसे पूर्णतः रोका नहीं जा सका एवं उससे उत्पन्न हुए दुःख तो सामान्य व्यक्तिके लिए अकल्पनीय हैं ।
शिवत्वहीन आधुनिक विज्ञान चाहे जितनी भी प्रगति कर ले, मायाके इस निराले विज्ञानके आगे उसे सदैव घुटने टेकना ही पडते हैं और भविष्यमें भी टेकने ही पडेंगे ।



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution