एक बार एक शिष्य गुरुकृपा प्राप्त कर आत्मज्ञानी हो गया ! उसके गुरुबन्धु एवं उनके संपर्क में आनेवले भक्तों को दिव्य अनुभूतियांं होने लगीं। गुरुजी ने कहा “जिन साधकोंको तुम्हारे बारेमें अनुभूतियांं होती हैं वह सब लिखकर दो उसे अपनी मासिक पत्रिकामें डालेंगे इससे लोगोंको समझ में आएगा की आत्मज्ञानीके संपर्क में आने से किस प्रकार की अनुभूतियांं होती हैं | शिष्यने सकुचाते हुए कहा, पर मुझे यह सब आपको लिखकर देते हुए संकोच होता है , गुरुजीने कहा, “यह भी तेरे सूक्ष्म अहम के कारण है, जब अनुभूतियांं ईश्वरने दी है और साधक उसे सबको बताना चाहते हैं तो तू कौन होता है उसे छुपाकर रखने वाला -तनुजा ठाकुर
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