जिस व्यक्तिका विवेक और सूक्ष्म इन्द्रियां, दोनों जागृत हों, वह सूक्ष्मसे मिलनेवाले सन्देशको त्वरित समझकर उसी अनुरूप कृति करता है । यहां एक विशेष तथ्य ध्यान रखें, जिन्हें अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट होता है, उनकी भी सूक्ष्म इन्द्रियां, उनके शरीरमें अनिष्ट शक्तिका वास होनेके कारण कई बार जागृत हो जाती हैं; क्योंकि उनका मन, अनिष्ट शक्तिसे एकरूप हो जाता है; किन्तु उनका विवेक जागृत हो यह आवश्यक नहीं; अतः विवेकके साथ सूक्ष्म इन्द्रियोंका जागृत होना अति आवश्यक है और जब ऐसा होता है तो जो स्थूल रूपमें जो दिखाई देता है, उसका सूक्ष्म कारण ज्ञात हो जानेपर किसी भी तथ्यको समझना सरल हो जाता है; फलस्वरूप योग्य उपाय योजना भी निकालना सरल हो जाता है । जैसे –
१. एक व्यक्ति न चाहते हुए संध्या समय मद्य, द्युत (जुआ) मादक पदार्थ (ड्रग्स) लेता है और प्रातःकाल बहुत पछताता है और यदि उसका सूक्ष्म परीक्षण करें और ज्ञात हो कि उसका देह भूतावेषित होनेके कारण वह संध्या समयसे उनके नियन्त्रणमें चला जाता है तो हम उस व्यसनाधीन व्यक्तिको आध्यात्मिक उपचार बताकर उसकी सहायता कर सकते हैं, जो सामान्यतः कोई भी पुनर्वास केन्द्र नहीं करता है; क्योंकि वहां ऐसे कष्टोंके सूक्ष्म पक्षकी पूर्ण उपेक्षा की जाती है ।
२. किसी वास्तुमें एकसे अधिक व्यक्तिकी अकाल मृत्यु हो जाए और यदि सूक्ष्म परीक्षण कर यह जानकारी मिल जाए कि यह वास्तु दोषके कारण हो रहा है तो उस वास्तुका त्याग कर देना चाहिए और नूतन वास्तुमें जाना चाहिए ।
३. किसी व्यक्तिको बार-बार उदरमें वेदना (पेट दर्द) होती हो और सर्व चिकित्सकीय जांचमें कुछ ज्ञात नहीं होता हो तो उसके कष्टका सूक्ष्म परीक्षण कर, किस कारणसे या किन कारणोंसे कष्ट हो रहा है, यह ज्ञात हो जाए तो रोगीको नीरोगी करने हेतु योग्य उपाय बताया जा सकता है ।
४. यदि किसी मार्गमें किसी एक विशिष्ट स्थानपर बार-बार दुर्घटना होती हो और उसमें लोगोंके प्राण चले जाते हों, जबकि वहां बुद्धिसे समझनेवाला कोई कारण ज्ञात न हो पा रहा हो तो भी उसका सूक्ष्म परीक्षण कर योग्य कारण ज्ञात किया जा सकता है ।
इस प्रकार बुद्धि अगम्य घटनाओंमें या समस्याओंमें सूक्ष्म इन्द्रियोंद्वारा किया गया परीक्षण कर उसका कारण ज्ञात होनेपर योग्य उपाय योजना निकाली जा सकती है । (क्रमश:)
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