आज जैसे ही हमने अपने ग्रन्थ ‘धर्मधारा’के संकलनको अंतिम प्रारूप देना आरम्भ किया उसके आधे घंटे पश्चातसे ही अर्थात् संध्या पांच बजेसे मेरे पैरमें सर्वप्रथम असह्य वेदना आरम्भ हुई और आधे घंटे पश्चात् पैरके तलवेमें बिना कारण पैरके जलन आरम्भ हो गया, अचानक देखा तो पाया कि वह लाल हो गया है जैसे किसीने उसे अंगारेपर रख दिया हो ! उसे कच्चे आमके पकाए हुए गूदेसे धोया और बर्फयुक्त जलमें डालकर भी थोडी देर रखा; परन्तु पांच- दस मिनट ही अच्छा लगा पुनः वह जलन आरम्भ हो गया है ! यह जलन अगले दिवस रात्रि तक रहा परन्तु जैसे-जैसे मैंने नामजप प्रार्थना करती चली गयी कष्टकी तीव्रता न्यून होती गयी | – तनुजा ठाकुर (२५.७.२०१४ )
Leave a Reply