सूक्ष्म इन्द्रियोंको जागृत कर उन्हें विकसित करनेके लाभ (भाग – ९)


आजकल स्त्रियोंकी वेशभूषा देखकर कभी हंसी आती है तो कभी आश्चर्य होता है, जो भी वस्त्र प्रचलनमें होता है वे बिना सोचे समझे उसे धारण कर लेती हैं, वे उसमें कैसे लग रही हैं, वह सात्त्विक है या नहीं इन सबसे उनका कोई लेना-देना नहीं होता है, ये अनुकरणप्रिय (नकलची) बन्दर  समान कुछ भी धारण करनेमें गर्व अनुभव करती हैं ! कभी लेग्गिंग्स तो कभी लाचा तो कभी कुछ और ! (क्षमा करें, मुझे उनके नित्य नूतन नाम ध्यानमें नहीं रहते हैं) | ये सर्व वस्त्र स्त्रीके देहको दूषित करता है और उसके शरीरके भीतर काली शक्ति निर्माण कर, मन एवं बुद्धिके आवरणको भी बढाता है |
मैंने एक सूक्ष्म प्रयोग किया, मैं पिछले चार वर्षोंसे उपासनाके आश्रममें आये आधुनिक स्त्रियोंद्वारा बनाये भोजनका सूक्ष्म परिक्षण करती रही और पाया कि ऐसे स्त्रियोंके भोजनमें सात्त्विकता तो होती ही नहीं है, साथ ही स्वाद भी नहीं होता है और भोजन काली शक्तिसे  आवेशित होती है जो उनके ही हाथोंकी अंगुलियोंसे संक्रमित होती है | यह देखनेके पश्चात मैं उसे प्रार्थना कर शुद्ध करती हूं, तत्पश्चात ही साधकोंको ग्रहण करने हेतु देती हूं | आश्रममें जा रही हूं; अतः कमसे कम दुपट्टा तो देहपर ले लें, इसका भी उन्हें भान नहीं होता; अतः दुपट्टा क्रय कर रखती हूं और कुछ दिवस वे रहती हैं तो उन्हें लेनेके लिए कहती हूं ! मैंने पाया कि इनमें ८५ % स्त्रियोंको माध्यमसे तीव्र स्तरका शारीरक और मानसिक कष्ट होता है जो उनकेद्वारा धर्मविरुद्ध आचरण करनेके कारण अनिष्ट शक्तियोंद्वारा निर्माण की जाती है जो उनके ही देहमें वास करती हैं | सबसे आश्चर्यकी बात यह है कि यदि युवा पीढी ऐसा करे तो समझमें आता है, अधेड आयुकी स्त्रियोंको भी ‘फैशनका व्यसन’ लग चुका है, वैसे ही कुछ युवा अपनी सात्त्विक माताओंको भी ऐसे वस्त्र पहनने हेतु विवश करते हैं | जब मैं कभी हवाईयानसे कहीं जाती हूं तो वहां मुझे साडीमें या पारम्परिक केश विन्यासमें विरले ही स्त्रियां दिखाई देती हैं और सभी विचित्र वेशभूषामें दिखाई देती हैं ! सूक्ष्मसे काले-काले चलती-फिरती काले गोले दिखाई देती हैं ! कभी-कभी मुझे लगता है अच्छा होता, सूक्ष्म समझमें नहीं आता !
इससे पहले कि हमारे देशकी स्त्रियां पश्चिमी देशोंका अनुकरण कर नग्न होकर घूमने लगे, (वैसे यह भी आरम्भ हो चुका है, अभी कुछ दिवस पूर्व एक स्वैराचारी स्त्री ऐसा नग्न होकर  सार्वजानिक स्थलपर अपना प्रदर्शन कर चुकी हैं और एक धर्मभ्रष्ट चित्रपट निर्देशक उसे अपने चित्रपटमें लेनेकी घोषणा भी कर चुके हैं),  हमें स्त्रियोंको सूक्ष्मका ज्ञान देना होगा जिससे वे अपनेद्वारा किए जा रहे मूर्खतापूर्ण कार्योंका विश्लेषण स्वयं कर, सतर्क हो सकें | स्त्रीका देह अनिष्ट शक्तियोंके लिए पोषक स्थान होता है; इसलिए उन्होंने धर्मपालन एवं साधना योग्य प्रकारसे करना चाहिए और यह वे करेंगी तभी उनमें सूक्ष्म इन्द्रियां जागृत करनेकी प्रक्रिया आरम्भ हो सकती है | मेरी ये बातें आजकी अहंकारी एवं अनिष्ट शक्तियोंसे आवेशित स्त्रियोंको स्वीकार्य नहीं होता; इसलिए अब आश्रममें UTS नामक  एक औरास्कैनर जो  एक वैज्ञानिक उपकरण लेकर आयी हूं जिससे उन्हें उनका वलय (जो कई फीट काला होता है) वह निकालकर दिखाती हूं, जिससे हो सकता उनके नेत्र खुल जाए और वे योग्य प्रकारसे धर्माचरण आरम्भ कर सकें | वैसे यह करनेसे पूर्व उन्हें प्रेमसे अपना बनाना नहीं भूलती हूं !  धर्म सिखाने हेतु प्रति दिन नूतन प्रयोग करना अब मेरी वृत्ति हो गयी है !



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