मार्च १९, २०१९
भारतके उच्चतम न्यायालयने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय कर दिया है !! न्यायालयने मुम्बईके एक अभियोगमें सुनवाई करते हुए कहा है कि आप अपनी बालकनीमें चिडियाओंको खाना नहीं खिला सकते !!
यह निर्णय उच्चतम न्यायालयके २ न्यायाधीशोंने किया है, जिनमे यूयू ललित और इंदु मल्होत्रा सम्मिलित थे ।
मुंबईकी एक ‘सोसाइटी’में एक महिला चिडियाको बालकनीमें भोजन दे रही थी, तो इसपर उस अन्य कुछ लोगोंने आपत्ति प्रकट की ।
यह प्रकरण निचली न्यायालयसे होता हुआ उच्च न्यायालय और अब उच्चतम न्यायालयमें पहुंचा और इस निर्णयको लेनेके लिए मुख्य न्यायाधीशने २ न्यायाधीशोंकी पीठ बनाई और इतना बडा निर्णय हमारे देशके सर्वोच्च न्यायालयने लिया है कि बालकनीमें आप चिडियाको भोजन नहीं खिला सकते !
“एक बारके लिए विश्वास करना कठिन है कि यह वही हिन्दुस्तान है जहां भोजनका एक ग्रास गौके लिए, एक कुत्तेके लिए और कुछ पक्षियोंके लिए निकाला जाता है और सभी प्राणियोंके सुखकी कामना की जाती है; परन्तु आजका हिन्दू आसुरिक प्रवृत्तिके मदमें इतना अन्धा हो चुका है कि जीवोंपर दया तो भूल ही गया है। उसे चिन्ता रहती है तो घरकी टाइलें, जो एक दिवस ऐसे ही नष्ट हो जाएंगीं, कितनी चमक रही है ! और न्यायालय तो उससे भी आगे हैं । समस्त देशके मुख्य प्रकरण न्यायालयमें अटके हुए हैं, जिनके लिए न्यायालयके टास समय नहीं है और ऐसे आधारहीन निर्णय देनेके लिए समय है ! न्यायालयको चाहिए था कि थोडी मानवता दिखाकर इस अभियोगको रद्दकर परिवादकर्ताओंको धमकाकर भगा देते; परन्तु नहीं, इस तथाकथित लोकतन्त्रकी संकीर्ण मानसिकतासे ग्रसित न्यायालयोंसे ऐसे निर्णयोंकी अपेक्षा भी कैसे की जा सकती है । इससे ज्ञात होता है कि हम केवल न्याय ही नहीं सामान्य बुद्धि भी खो चुके हैं ।” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : डीबीएन
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