मार्च १७, २०१९
उत्तराखण्ड शासनके खाद्य सुरक्षा विभागने ‘ऑनलाइन फूड डिलिवरी’ जालस्थल ‘जोमैटो और स्विगी’को एक अधिसूचना (नोटिस) जारी किया है । हरिद्वारके प्रतिबंधित क्षेत्रोंमें मांसाहारी भोजनकी आपूर्तिके प्रकरणमें संज्ञान लेते हुए विभागने दोनों कंपनियोंको अधिसूचना देकर उत्तर मांगा है । वहीं हरिद्वारके जिला प्रशासनने इस प्रकरणमें जांच करानेकी बात कही है ।
धार्मिक भावनाओंको ध्यानमें रखते हुए हरिद्वार नगर निगमद्वारा नगरकी परिसीमामें मांसाहारी भोजनके विक्रयपर प्रतिबंध लगाया गया है; परन्तु इसके पश्चात भी ऑनलाइन खाद्य आपूर्ति जालस्थलकी ओरसे नगरके कई क्षेत्रोंमें मांसाहारी भोजनकी आपूर्तिकी बात सामने आई है, जिसे देखते हुए विभागकी ओरसे ‘जोमैटो और स्विगी’को अधिसूचना जारी की गई हैं ।
इस बारेमें और जानकारी देते हुए हरिद्वारके खाद्य सुरक्षा अधिकारी आरएस पालने कहा, “कुछ स्थानीय लोगोंद्वारा न्यायाधीश जगदीश पालके पास की गई परिवादके आधारपर विभाग अपनी जांच कर रहा है । ‘जोमैटो और स्विगी’ दोनोंकी कंपनियोंने जांचके लिए गए दलोंको ‘फूड सेफ्टी ऐड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया’का सर्टिफिकेट नहीं दिखाया है, जिसके पश्चात इन्हें अधिसूचना जारी की गई हैं । दोनों ही कंपनियोंको उत्तर देनेके लिए सात दिनोंका समय दिया गया है ।”
वहीं इस प्रकरणमें ‘जोमैटो’के प्रवक्ताने अपना पक्ष रखते हुए कहा, “हम गत कई वर्षोंसे ‘एफएसएसएआइ’के मानकोंके अनुरूप कार्य कर रहे हैं । हमने पहले ही हरिद्वारमें अपनी कंपनीके कार्यके लिए अनुमतिपत्र (लाइसेंस) लेने हेतु आवेदन किया है और हम यहांकी धार्मिक भावनाका सम्मान करने एवं नियमोंके प्रति काम करनेके लिए प्रतिबद्ध हैं ।”
इसके अतिरिक्त स्विगीने अपने वक्तव्यमें कहा, “हमें हरिद्वारके प्रतिबंधित क्षेत्रोंमें मांसहारी भोजनकी आपूर्तिपर खेद है । हमने विभागकी अधिसूचनाके पश्चात इस सम्बन्धमें कार्रवाई की है और १६ मार्चसे हम हरिद्वारमें केवल शाकाहारी खानेकी ही आपूर्ति कर रहे हैं ।”
“गत वर्षोंमें हिन्दुओंका कितना अधोपतन हुआ है, यह इसी बातसे स्पष्ट है कि भोजनपर संस्कारकर खानेवाला, स्वच्छतासे रसोईघरमें भोजन पकाकर ईश्वरको भोग लगाकर खानेवाला हिन्दुस्तान आज अपने सर्वसंस्कारोंको विस्मृतकर लज्जाहीन होकर तामसिक भोजन ग्रहण कर रहा है ! लज्जाहीन लोग हरिद्वार सदृश पुण्य भूमिपर लोग तो इस अभक्ष्य भोज्यपदार्थका भक्षण कर रहे हैं और निधर्मी उद्योगोंका कार्य तो मात्र लाभ अर्जित करनेसे होता है तो उन्हें धर्मसे लेना-देना नहीं है; परन्तु क्या हम भी अपने सर्वसंस्कारोंका त्याग कर चुके हैं ? इन सबका मूल कारण आज पति-पत्नीका अति आधुनिक होकर आलस्यहीन होकर अपने संस्कारोंका त्याग करना है और आधुनिक पीढीने इसका अन्धानुकरण किया है और इसके दुष्परिणाम भी देखनेको मिल रहे हैं कि विषकारी भोजनके कारण आज प्रत्येक हिन्दुस्तानी रोगी हो चला है । आगामी हिन्दू राष्ट्रमें बालकोंमें बाल्यकालसे ही ये सभी मूल संसकार रोपे जाएंगें ताकि कोई अपनी संस्कृतिका विनाश अपने हाथोंसे न करें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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