मई ४, २०१९
जल संकटसे उद्विग्न तमिलनाडुमें शासन जलकी व्यवस्थाके लिए इन्द्र देवताको प्रसन्न करना चाहती है । दक्षिण भारतका यह समुद्र तटीय राज्य भयंकर जलसंकटसे जूझ रहा है । समाचारोंके अनुसार तमिलनाडुके ‘एआईएडीएमके’ शासनने लगभग ४४ सहस्र मन्दिरोंको इन्द्र देवताके लिए यज्ञ करनेका उत्तरदायित्व सौंपा है । वर्षोऋतुमें अच्छी वर्षाके लिए ये प्रयास किए जा रहे हैं । वहीं लोगोंकी समस्याओंके चलते चुनाव प्रचारपर गए नेताओंको भी खरी-खोटी सुननी पडी ।
प्राप्त जानकारीके अनुसार तमिलनाडुमें लगभग ४४ सहस्रसे अधिक मन्दिरोंका प्रबन्ध देखनेवाले हिन्दू धर्म एवं परमार्थ प्रदाय विभागने महत्वपूर्ण धर्मस्थलोंके अधिकारियोंसे इन्द्र देवताको प्रसन्न करनेके लिए यज्ञ और अन्य अनुष्ठान करनेके लिए कहा है । मन्दिर प्रबन्धन संभाल रहे लोगोंको कहा गया है कि २०१९-२० में अच्छी वर्षाके लिए महत्वपूर्ण मन्दिरोंमें यज्ञका आयोजन करनेका निर्णय लिया गया है ।
तमिलनाडुमें ऐसा प्रथम बार नहीं हो रहा है । पहले भी सूखेसे निपटने और वर्षाके लिए यहां भगवानसे प्रार्थनापर शासनको निर्भर होते देखा गया है । इससे पूर्व जयललिताके मुख्यमन्त्री रहनेके समय भी ऐसा हो चुका है । २०१३ में राज्य शासनने मन्दिरोंमें यज्ञ और प्रार्थनाका आयोजन करवाया था ।
“शंकराचार्यको झूठे अभियोगमें इतने वर्षोंतक कारावासमें रखनेवाला शासन चाहता है कि इन्द्रदेव प्रसन्न हो और वर्षा करें ! सन्तोंका अपराध करनेपर पञ्चमहाभूत स्वयं ही रुष्ट होते हैं; क्योंकि पञ्चमहाभूतोंपर उनकी पकड होती है; अतः पहले शासकगण साधु-सन्तोंका आदर करना सीखे, तभी ही इन्द्रदेव प्रसन्न होकर यज्ञ स्वीकार करेंगें । इसके अतिरिक्त जबसे धर्मनिरपेक्ष शासकवर्ग सनातानके सिद्धान्तोंको छोडते गए, तभीसे राज्य और देशपर विपत्तियां बढती गई और तो और कई मन्दबुद्धियोंने तो यज्ञके पवित्र धुएंको प्रदूषण बताना आरम्भ कर दिया; परन्तु सनातनके सिद्धान्त अटल सत्य हैं और सभीको उनपर देर-सवेर चलना ही होगा !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जनसत्ता
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