तस्लीमा नसरीनने तथाकथित समाजसेविकाओंको हडकाया, कहा कि सबरीमाला मंदिरके स्थानपर गांवोंमें जाएं महिला कार्यकर्ता !


नवम्बर १६, २०१८

विवेकपूर्ण लिखने वाली व वक्ता बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीनने आश्चर्य प्रकट किया कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिरमें प्रवेशके लिए अत्यधिक उत्सुक क्यों हैं ? उन्होंने कहा कि इसके स्थानपर उन्हें गांवोंमें जाना चाहिए, जहां महिलाएं अनेक समस्याओंसे जूझ रही हैं । सबरीमला मंदिर दो माहके तीर्थाटनके लिए शुक्रवार, १६ नवम्बरको खुल गया ।

तस्लीमाने कहा, “मैं नहीं समझ पा रही हूं कि महिला कार्यकर्ता सबरीमला मंदिरमें प्रवेशके लिए इतनी उत्सुक क्यों हैं ?” उन्होंने ट्वीट किया, “अच्छा होगा कि वे (महिला कार्यकर्ता) गांवोंमें जाएं जहां महिलाओंको घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीडन, घृणा जैसी समस्याओंका सामना करना पड रहा है और जहां लडकियोंकी शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं है, जहां उन्हें चाकरी करनेकी स्वतन्त्रता नहीं है या जहां उन्हें समान वेतन नहीं मिलता है।”

तस्लीमा नसरीन १९९४ में अपनेद्वारा लिखे गए उपन्याससे भडके कट्टरपंथियोंकी चेतावनियोंके चलते भारत और यूरोपमें निर्वासनमें रह रही हैं । सबरीमला जानेके लिए शुक्रवारकी प्रातः कोच्चि पहुंचीं कार्यकर्ता तृप्ति देसाईको केरल छोडना पडा, क्योंकि कोच्चि विमानतलके बाहर हिन्दू श्रद्धालु तथा अन्य लोग प्रदर्शन कर रहे थे ।


“हम तसलीमाजीके इस वक्तव्यके लिए उनका अभिनन्दन करते हैं । वस्तुतः जो कार्य तसलीमा जी गिनवा रही है, सम्भवतः ये सब तो इन तथाकथित कार्यकर्ताओंने किए ही नहीं है; क्योंकि वास्तविक  सेवा कार्य करने वालोंके पास ईश्वर स्वतः ही एक बौद्धिक क्षमता व करुणा विकसित कर देते हैं, ऐसा इतिहास भी है और तथ्य भी ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

स्रोत : जी न्यूज



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