अक्तूबर २५, २०१८
सरकारने उत्तराखण्ड उच्च न्यायालयके आदेशके पश्चात् जालस्थल सेवा प्रदाताको (सर्विस प्रोवाइडर्स) अश्लील सामग्री दिखाने वाले ८२७ जालस्थल बन्द करनेका निर्देश दिया है । न्यायालयने हाल हीमें अश्लीलता फैला रही ८५८ जालस्थलको बंद करनेका आदेश दिया था । यद्यपि, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालयने ८२७ जालस्थलको बंद करनेको कहा है । जांचमें उन ८५७ में से ३० पर अश्लील सामग्री नहीं पाई है ।
सूत्रोंने कहा कि मन्त्रालयने दूरसंचार विभागको ८२७ जालस्थलको बंद करनेके लिए कहा है । इन जालस्थलोंके नामोंकी सूची मन्त्रालयने अपने पत्रमें दी है । दूरसंचार विभागने इंटरनेट सेवा प्रदाताओंको जारी आदेशमें कहा, “सभी अनुमति-टत्र (लाइसेंस) प्राप्त इंटरनेट सेवा प्रदाताओंको माननीय उच्च न्यायालयके आदेशका अनुपालन और मन्त्रालयके निर्देशके अनुसार ८२७ जालस्थलको बंद करनेके लिए तुरन्त कार्यवाही करनेका निर्देश दिया जाता है ।”
उच्च न्यायालयने २७ सितम्बर २०१८ को इन जालस्थलोंको बंद करनेका आदेश दिया था और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालयको आठ अक्टूबरको यह आदेश प्राप्त हुआ । मन्त्रालयने दूरसंचार विभागको सूचित किया है कि उसके (दूरसंचार विभागके) ३१ जुलाई २०१५ की पुरानी अधिसूचनाके अनुसार उच्च न्यायालयने ८५७ जालस्थलको बंद करनेका आदेश दिया है ।
दूरसंचार विभागने ४ अगस्त २०१५ को अपने आदेशमें परिवर्तन किया और कहा कि जालस्थल सेवा प्रदाता इन ८५७ जालस्थलोंमें ऐसे लिंक अथवा ‘यूआरएल’को नहीं बंद करनेको स्वतन्त्र है, जिनपर अश्लील सामग्री नहीं दिखती है ।
“उत्तराखण्ड प्रशासनका यह निर्णय प्रशंसनीय है । वस्तुतः पोर्न युवाओंको दिग्भ्रमित, तेजविहीन, संस्कार विहीन करनेका बाहरी षडयन्त्र मात्र है, जिससे प्रत्येक युवाने बचना चाहिए और वह अपना वही बहुमूल्य समय और जीवन ऊर्जा धर्मको दें !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : न्यूज १८
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