हिन्दू राष्ट्रका संविधान बनाएंगे ! – सन्त समाज
१६ फरवरी, २०२२
प्रयागराज उत्तर प्रदेशमें आयोजित हुए सन्त सम्मेलनमें हिन्दू राष्ट्रका संविधान बनानेका निर्णय लिया गया है । इसका ‘हिन्दू राष्ट्र संविधान’ नामकरण किया जाएगा । यह संविधान आगामी माघ मेलेमें सन्त एवं भाविकोंके समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा । अखिल भारतीय विद्वत् परिषदके महासचिव डॉ. कामेश्वर उपाध्यायको संविधानकी निर्मितिका संयोजक बनाया गया है । उनके अन्तर्गत विधि विशेषज्ञों एवं सुरक्षा विशेषज्ञोंका समावेशकर, ३ समितियां बनाई जाएंगी । प्रत्येक समितिमें २५ लोगोंका समावेश होगा । इसमें सिख, बौद्ध, जैन सहित १२७ पन्थोंके प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे । श्रावण माहमें राज्य संविधानका प्रारूप सिद्ध (तैयार) करनेका लक्ष्य है ।
हिन्दू राष्ट्रके संविधानमें श्रीमद्भगवद्गीता, श्रीरामचरितमानस, मनुस्मृति सहित वेद एवं पुराणोंके सूत्रोंका भी समावेश होगा । हिन्दू राष्ट्रमें गुरुकुल शिक्षा बन्धनकारक होगी । इसमें ३ से ८ वर्षकी आयुके लडके एवं लडकियोंको शिक्षा लेना बन्धनकारक होगा । तदुपरान्त ही उन्हें अन्य विद्यालयोंमें जानेकी अनुमति होगी ।
‘मुसलमानोंको सम्मान एवं संरक्षण दिया जाएगा; परन्तु उन्हें मतदानका अधिकार नहीं होगा’, ऐसा सन्त सम्मेलन संचालन समितिके संयोजक स्वामी आनंद स्वरूपने स्पष्ट किया ।
स्वामी आनंद स्वरूप बोले, ‘‘भारतको ‘हिन्दू राष्ट्र’ बनानेका कार्य प्रारम्भ हो गया है । देशमें लोकसभाके ५४३ स्थान हैं और प्रत्येकमें ‘धर्म सांसद’का चयन किया जाएगा । प्रत्याशियोंकी आयु २५ वर्षाेंसे भी अधिक होगी, इसके साथ ही १६ वें वर्षसे मतदानका अधिकार होगा । नई देहलीके संसद भवन समान ही काशीमें संसद भवन बनाया जाएगा । इसके लिए काशीमें शलूकंटेश्वरके समीप ४८ एकड भूमिका चयन हो गया है । हिन्दू राष्ट्रमें काशी ही देशकी राजधानी बनाई जाएगी ।
स्वामी आनंद स्वरूपने आगे कहा, ‘‘हिन्दू राष्ट्रका मन्त्रीमण्डल चंद्रगुप्त मौर्यके मन्त्रीमण्डल समान होगा । इसमें संरक्षण, शिक्षण, राजकीय, आरोग्य आदि व्यवस्था होगी ।’’
महामण्डलेश्वर अन्नपूर्णा भारतीने कहा, ‘‘हमें रोकनेके लिए देशसे एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तरपर षड्यन्त्र रचे जा रहे हैं; परन्तु भारतको हिन्दू राष्ट्र बनानेका अभियान नहीं रुकेगा । हिन्दू राष्ट्र बनानेके लिए एवं जिहाद नष्ट करनेके लिए अन्तिम श्वासतक लडेंगे । धर्मान्तरित मुसलमानोंको सम्मानपूर्वक हिन्दू धर्ममें लाया जाएगा, इसके साथ ही मठ एवं मन्दिरोंको ‘शासकीयकरण’से मुक्त किया जाएगा ।’’
हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना के प्रयास अभिनन्दनीय हैं; परन्तु इसके लिए खरे सन्तोंका मार्गदर्शन और विस्तृत पूर्वसिद्धताकी आवश्यकता है । किसी भी प्रकारकी शीघ्रता, हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनामें बाधा एवं भ्रमकी स्थितिका निर्माण कर सकती है । अत्यन्त सतर्कताकी आवश्यकता है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
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