‘पीएफआई’के ३ लाख अधिकोष (बैंक) खातोंमें ‘इस्लामी’ देशोंसे आते हैं प्रति वर्ष ५०० कोटि (करोड) रुपये !


१ अगस्त, २०२२
       राष्ट्रीय जांच अभिकरणके (एनआईएके) अनुसार ‘पॉप्युलर फ्रंट ऑफ इंडिया’को (पीएफआईको) प्रति वर्ष साऊदी अरब, कतार, कुवैत, संयुक्त अरब अमिरात तथा बहरीन देशोंसे ५०० कोटि रुपये मिलते हैं । यह पैसा ‘वैस्टर्न यूनियन’द्वारा परिवारके व्ययके (खर्चके) नामसे विविध खातोंमें भेजा जाता है । इसके लिए ‘पीएफआई’के सदस्योंके १ लाख और उनके सगे-सम्बन्धियों एवं परिचितोंके २ लाख अधिकोष खातोंका उपयोग किया जाता है । ‘एनआईए’ पूछताछ कर रही है कि इतनी बडी धनराशि कहां व्ययकी जाती है ? अबतकके अन्वेषणसे यह ध्यानमें आया है कि ‘पीएफआई’द्वारा पैसा उन संगठनोंको दिया जाता है जो युवाओंको भ्रमितकर, उन्हें मुसलमानी’ कट्टरता सिखाते हैं । इस वर्ष जूनमें प्रवर्तन निदेशालयने (ईडीने) ‘पीएफआई’के विरुद्ध वित्तीय अनियमितताका प्रकरण प्रविष्ट किया था । वहीं उसके सहयोगी संगठन ‘रिहब इंडिया फाऊंडेशन’के ३३ अधिकोष खाते ‘फ्रीज’ किए थे । इन खातोंमें क्रमशः ६० कोटि और ५८ कोटि रुपये जमा थे । ‘ईडी’की कार्यवाहीके समय खातेमें केवल ६८ लाख रुपये थे । ‘पीएफआई’द्वारा यह धन मुसलमानों एवं शासकीय नीतियोंके विरोधके आन्दोलनों, मुसलमान बन्दियोंको विधि सहायतामें प्रदान किया जाता है ।
        ‘पीएफआई’ने ‘सोशालिस्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया’, ‘कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया’ जैसे संगठन स्थापित किए हैं । गुप्तचर संस्थाके एक अधिकारीने दी हुई जानकारीके अनुसार, ‘पीएफआई’ संगठन प्रतिबन्धित ‘सिमी’ संगठनके कार्यकर्ता सक्रिय हैं । ‘पीएफआई’ विदेशसे मिला हुआ धन आतङ्कवादी कार्यवाहीके लिए व्यय करती थी, यह सिद्ध होनेपर उसपर प्रतिबन्ध लगाए जानेकी सम्भावना है ।
       अनेक राज्योंकी गुप्तचर संस्थाओंने ‘पीएफआई’का अभिज्ञान सन्दिग्धके रूपमें किया है । झारखंडने इस संगठनपर प्रतिबन्ध लगाए थे; परन्तु फिर उच्च न्यायालयकी ओरसे वे हटा दिए गए ।
      इस्लामी संगठन ‘ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीन काउंसिल’द्वारा  आयोजित परिषद, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा ‘सलाहकार’ अजित डोवाल भी उपस्थित थे, जिसमें ‘पीएफआई’ जैसे संगठनोंपर प्रतिबन्ध लगानेका प्रस्ताव पारित किया है ।
       इतनी बडी धनराशि कहां व्यय होती है ? क्या इसकी छानबीन जांच अभिकरणोंने की है ? एक ‘इस्लामी’ संगठनको इतना धन मिलता है, तो अन्य ‘इस्लामी’ संगठन, ‘मदरसे’, ‘मस्जिदों’ आदिको कितना धन मिलता होगा ? यह कल्पनाके परे है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
साभार : https://sanatanprabhat.org


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


सूचना: समाचार / आलेखमें उद्धृत स्रोत यूआरऍल केवल समाचार / लेख प्रकाशित होनेकी तारीखपर वैध हो सकता है। उनमेंसे ज्यादातर एक दिनसे कुछ महीने पश्चात अमान्य हो सकते हैं जब कोई URL काम करनेमें विफल रहता है, तो आप स्रोत वेबसाइटके शीर्ष स्तरपर जा सकते हैं और समाचार / लेखकी खोज कर सकते हैं।

अस्वीकरण: प्रकाशित समाचार / लेख विभिन्न स्रोतोंसे एकत्र किए जाते हैं और समाचार / आलेखकी जिम्मेदारी स्रोतपर ही निर्भर होते हैं। वैदिक उपासना पीठ या इसकी वेबसाइट किसी भी तरहसे जुड़ी नहीं है और न ही यहां प्रस्तुत समाचार / लेख सामग्रीके लिए जिम्मेदार है। इस लेखमें व्यक्त राय लेखक लेखकोंकी राय है लेखकद्वारा दी गई सूचना, तथ्यों या राय, वैदिक उपासना पीठके विचारोंको प्रतिबिंबित नहीं करती है, इसके लिए वैदिक उपासना पीठ जिम्मेदार या उत्तरदायी नहीं है। लेखक इस लेखमें किसी भी जानकारीकी सटीकता, पूर्णता, उपयुक्तता और वैधताके लिए उत्तरदायी है।

विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution