तथाकथित बुद्धिवादियोंका हिन्दूद्रोह, ट्विटरके मुख्य कार्यकारी अधिकारीने ‘ब्राह्मणवादी आधिपत्य ध्वस्त करो’का विज्ञापनपट दिखाया !


नवम्बर २०, २०१८

गत दिवसोंमें ‘ट्विटर’के सह संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जैक डोरसी भारतकी यात्रापर थे । उस मध्य उन्‍होंने मंगलवार, २० नवम्बरको प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीसे भेंट की । उन्‍होंने कई अन्‍य कार्यक्रमोंमें भी भाग लिया । इस मध्य महिला पत्रकारों, दलित कार्यकर्ताओंके एक कार्यक्रममें भाग लिया ।

यहांं कार्यक्रममें एक विवाद तब भडक गया, जब एक पत्रकारने कार्यक्रमके एक सामूहिक चित्रको सांझा किया । इसमें जैक डोरिस, ‘ट्विटर’की अमृता त्रिपाठी, लीगल हेड विजया गड्डे और शेष दूसरे कार्यकर्ता और लेखकोंके साथ दिख रहे हैं । कार्यक्रममें ‘ट्विटर’के सह संचालक जैक डोरसीको एक विवादास्‍पद विज्ञापनपट (पोस्‍टर) दिया, जिसमें लिखा था, ‘स्मैश ब्राह्मिकल पैट्रिआर्की’ अर्थात ब्राह्मणवादी पितृसत्ता वर्चस्वको तोडो अथवा   ब्राह्मणवादी आधिपत्य ध्वस्त करो ! ‘ट्विटर’पर इस चित्रके सामने आते ही जैक डोरिसको आलोचनाओंका सामना करना पडा ।  इसको लेकर कई लोगोंने विरोध प्रकट किया है और क्षमा मांगनेके लिए कहा ।

प्रसिद्ध उद्योगपति मोहन दास पाईने कहा कि बिल्‍कुल बकवास । क्या आप आशा करते हैं कि लोग इन झूठोंपर विश्वास करते हैं ? समानताका समर्थन करनेके लिए जैकने एक विज्ञापनपट (पोस्टर) हाथोंमें लिया है । क्या उन्‍होंने ऐसा किसी अन्य देश किया है ? क्‍या उन्‍होंने पूछा कि इसका अर्थ क्‍या है ? दिल्‍लीमें उन्‍हें चरम वामपंथियोंने मूर्ख बनाया है । कृपया इसे ढकनेका प्रयास न करें । यदि आप इसके लिए क्षमा मांगते हैं, तो आपके ऋणी होंगे । पत्रकार चित्रा सुब्रमण्यमने कहा कि अगर आप चीनमें होते तो क्‍या शी शिनपिंगसे स्‍वतन्त्र और निष्‍पक्ष मतदानके लिए कहते ?

‘ट्विटर इंडिया’ने इस प्रकरणमें स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह ‘ट्विटर’ या हमारे अधिकारीका वक्तव्य नहीं है, लेकिन विश्व भरमें हमारी सेवापर होने वाली महत्वपूर्ण सार्वजनिक वार्तालापोंके सभी पक्षोंको देखने, सुनने और समझनेके लिए हमारी कंपनीके प्रयासोंका एक वास्तविक प्रतिबिम्ब है ।


“जैक एक ऐसी संस्कृतिसे है, जहां वर्ण, धर्म व आध्यात्मिक ज्ञानसे कोई लेना-देना नहीं है, जहां मनुष्य भी पशु समान केवल वासना तृप्ति हेतु जीवन जीते हैं तो ऐसेमें उन्हें ब्राह्मणवादका अर्थ ज्ञात होगा क्या ? और अज्ञात विषयपर ज्ञान देने वाला सदैव मूढ ही कहलाता है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

स्रोत : जागरण



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