अप्रैल १६, २०१९
महाराष्ट्र स्थित चन्द्रपुरसे एक जघन्य अपराधका प्रकरण सामने आया है । यहां पुलिसने एक छात्रावास प्रबन्धक और उप प्रबन्धकको बन्दी बनाया है । ये दोनों ही ‘इन्फेंट जीसस इंग्लिश विद्यालय’के छात्रावासमें कार्यरत थे । राजुरा पुलिसने उस चिकित्सकीय परीक्षणके पश्चात यह कार्यवाही की, जिसमें इस बातकी पुष्टि हुई कि ९ व ११ वर्षकी दो आदिवासी युवतियोंके साथ दुष्कर्म किया गया है । इन दोनों बच्चियोंको ६ अप्रैलको चन्द्रपुर स्थित जीएमसीएच चिकित्सालयमें प्रविष्ट कराया गया था । इन दोनोंको शामक औषधियोंकी (सेडेटिव ड्रग्सका) अत्यधिक मात्रा दी गई थी ।
दोनों ही छात्रावास प्रबन्धकोंपर बच्चियोंसे दुष्कर्म और उनका यौन शोषण करनेका आरोप है । ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ने बताया कि छात्रावास प्रबन्धकों चबन पचारेके कार्यालयसे पुलिसने भारी मात्रामें वियाग्रा और निरोधक अधिकृत किए हैं । उसे शनिवार, १३ अप्रैल २०१९ को बन्दी बनाया गया । बता दें कि यौन क्षमता बढानेके लिए पुरुषोंद्वारा वियाग्राका प्रयोग किया जाता रहा है ।
स्थानीय पुलिस-प्रशासन और जनजातीय विभाग तब पूर्ण रूपसे सक्रिय हो उठा, जब राज्यके वित्त मन्त्री और चन्द्रपुरके प्रभारी मन्त्री सुधीर मुनगंटीवारने प्रकरणका संज्ञान लेते हुए विस्तृत जांचके आदेश दिए । पुलिसने बताया कि प्रबन्धकको बन्दी बना लिया गया है और उसके कार्यालयसे आपत्तिजनक वस्तुएं मिली हैं । एसपी महेश्वर रेड्डीने बताया कि एक अन्य युवतीको भी मादक पदार्थ देनेका प्रकरण सामने आया है ।
सामाजिक कार्यकर्ता और मनसे नेता राजू कुकुडेने एक प्रतिनिधिमण्डलके साथ एसपीसे मिलनेके पश्चात बताया कि ६ अप्रैलको छात्रावासकी १३ लडकियां अचेत अवस्थामें थीं । राजुराके एक स्थानीय चिकित्सालयमें उनका चिकित्सा की गई थी । उनमेंसे दोको चन्द्रपुर जीएमसीएचमें प्रविष्ट कराया गया; क्योंकि उनकी स्थिति गम्भीर थी ।
दोनों लडकियां एक सप्ताहतक चिकित्सकीय परीक्षण करानेसे मना करती रहीं; परन्तु उनके अभिभावकोंकी सहमतिसे उनका परीक्षण किया गया, जिसमें दुष्कर्मकी पुष्टि हुई । इस प्रकरणमें ‘पोस्को अधिनियम’ और ‘एससी-एसटी अधिनियम’के अन्तर्गत प्रकरण प्रविष्ट कर लिया गया है । जिन अन्य लडकियोंके बेहोश होनेकी सूचना मिली है, उनके घर भी पुलिस भेजकर वक्तव्य लिए जा रहे हैं । सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता पारोमिता गोस्वामीने छात्रावासकी अन्य युवतियोंका भी यौन उत्पीडन किए जानेकी आशंका प्रकट की है ।
घटनाकी निंदा करते हुए गोस्वामीने लडकियोंसे वार्ता करनेके पश्चात कहा कि उन्हें ‘ओआरएस’के घोलमें शामक औषधि मिला कर दी जाती थी । हॉस्टल प्रशासनने प्रबन्धकोंको तत्काल प्रभावसे निलम्बित कर दिया है ।
‘टीओआई’के सूत्रोंके अनुसार, उस छात्रावासमें ३०० छात्र-छात्राएं हैं, जिसमेंसे १३० कक्षा पहलीसे दसवीं तककी लडकियां हैं ।
“ये है आजके आधुनिक माता-पिताके प्रिय मिशनरी विद्यालयोंकी सत्यता !! अभी तक तो मिशनरी अवैध धनसे धर्मान्तरण करते थे, विद्यालयोंमें बालकोंकी बुद्धि भ्रमितकर उन्हें अर्ध ईसाई बनाते थे; परन्तु अब तो यहां बालकोंसे दुष्कर्म भी किया जाने लगा है । हिन्दू माता-पिता आज विवेकहीनतामें मिशनरी विद्यालयोंमें बालकोंको भेजकर उनका जीवन नष्ट कर रहे हैं और निस्सन्देह यह एकमात्र विद्यालय नहीं होगा; क्योंकि कृत्य शिक्षा अनुरूप ही होते हैं तो ईसाईयोंका भी यही है, जब उनकी शिक्षा व उद्देश्य ही अनुचित है तो कृत्य कैसे उचित हो सकते हैं । आए दिन ऐसे समाचार आने लगे हैं, जिससे गुरुकुलकी आवश्यकताका बोध होने लगा है । प्रशासन भी इसपर कडी कार्यवाहीकर ऐसे विद्यालयोंकी जांचकर बन्द करें और छात्रोंके भविष्यको नष्ट होनेसे बचाए ।” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : ऑप इण्डिया
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