आज उपासनाकी एक साधिकाने बताया कि आज उनकी माताजीने अपने कुटुम्बके ‘व्हाट्सऐप्प’ गुटपर अपनी चूकें साझा कीं एवं उस गुटके अन्य सदस्योंको भी ऐसा करने हेतु निवेदन किया । उनका यह प्रयास सराहनीय है एवं उनके साधकत्वका द्योतक है एवं अन्योंने भी ऐसा प्रयास करना चाहिए । जब मैं अभी कुछ दिवस पूर्व नासिक गई थी तो उन्होंने अपने घरमें एक फलक (बोर्ड) लगा रखा था जिसमें घरके सभी सदस्य, जो उपासनासे जुडे हैं वे अपनी चूकें लिखते हैं । उनके घरपर आश्रम समान चैतन्य निर्माण होने लगा है । हिन्दू राष्ट्रमें सभीके घरमें ऐसा होगा; क्योंकि तब सर्वत्र दोष निर्मूलनकी प्रक्रिया की जाएगी । जैसे विद्यालयकी कक्षामें बच्चे अपनी मुख्य चूकें लिख सकें, इस हेतु प्रत्येक कक्षामें फलक (बोर्ड) होंगे । शिक्षकोंके बैठक कक्षमें भी फलक होंगे जहां शिक्षक अपनी चूकें साझा कर सकेंगे । राज्य स्तरीय विधानसभा भवन एवं राष्ट्रीय स्तरके संसद भवनमें भी चूकें लिखने हेतु फलक होंगे । इतना ही नहीं प्रत्येक प्रतिष्ठानमें ऐसे ही सार्वजनिक स्तरपर फलक होंगे जहां लोग अपनी चूकें लिखेंगे; क्योंकि आजके समाजकी जैसी स्थिति हो चुकी है, उसकी आन्तरिक शुद्धि हेतु इस प्रक्रियाको सभीसे करानेसे ही समाजमें साधकत्व निर्माण होगा ।
जिनका अहं कम होता है वे अपनी चूकें सहज ही सबके समक्ष स्वीकार भी करते हैं । हिन्दू राष्ट्रमें समाजमें साधकत्व निर्माण करने हेतु विशेष प्रयास किए जाएंगे एवं इसलिए लोग इसे करने लगेंगे ।
जो खरे अर्थोंमें बुद्धिमान हैं, उन्हें यह प्रक्रिया अभीसे आरम्भ कर देनी चाहिए; क्योंकि हिन्दू राष्ट्रमें इस प्रक्रियाका कोई पर्याय नहीं होगा और वैसे भी हम सबसे चूकें हमारे षड्रिपु अनुरूप ही होती हैं और ये षड्रिपु सभीमें होते हैं । किसीमें कोई दोष अधिक होता है, किसीमें कोई और; किन्तु सभीकी चूकें काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मत्सरसे ही सम्बन्धित होती हैं । कोई अपने दोषोंको कितना भी छुपाकर रखे; किन्तु वह जब किसीके भी पास रहता है तो वे सब दोष स्वतः ही उभर कर आ जाते हैं; अतः दोष निर्मूलन करनेसे हमें सबकी सहायता भी मिलती है और साथ ही हमारा सूक्ष्म देह हलका होता जाता है, जिससे हमें व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक दोनों ही लाभ मिलते हैं ।
इसलिए मैं साधिकाके इस प्रयासका अनुमोदन करती हूं और ईश्वरसे प्रार्थना करती हूं कि अन्य साधकोंको भी ऐसा करनेकी वे प्रेरणा दें !
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