उत्तिष्ठ कौन्तेय


पदच्युत होनेके पश्चात शासकीय आवासको न त्यागनेवाले उत्तर प्रदेशके स्वार्थान्ध पूर्व मुख्यमन्त्रीगण 
सर्वोच्च न्यायालयने हालमें उत्तर प्रदेशके सभी पूर्व मुख्यमन्त्रियोंसे अपने शासकीय (सरकारी) आवास खाली करनेको कहा है। इसके पश्चात उत्तर प्रदेश शासनने गत १७  मईको पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको इस सम्बन्धमें सूचना (नोटिस ) भेजी है।
बता दें १९८० से ही उत्तर प्रदेशमें पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको आजीवन आवासकी सुविधा दी जा रही है, ये बंगले नगरके अति अति विशिष्ट व्यक्तियोंके क्षेत्रमें बने हैं, जिनका किराया अत्यधिक अल्प है; किन्तु इनके रखरखावमें प्रत्येक वर्ष लाखों रुपये व्यय होते हैं।
पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको मिले बंगलेको सर्वोच्च न्यायालयने निरस्त कर दिया, जिसके पश्चात राज्य संपत्ति विभागने सभी पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको बंगला खाली  करानेके निर्देश दिए हैं, आपको बता दें कि इसी  न्यायालयने उत्तर प्रदेश मन्त्रियोंके वेतन, भत्ते और अन्य सुविधावाले विधानमें (कानूनमें) संशोधनको असंवैधानिक बताया है और आदेशमें कहा कि एक बार मुख्यमन्त्री अपने पदसे हट जाता है तो वो एक  सामान्य नागरिक हो जाता है। अब ६  पूर्व मुख्यमन्त्रियोंको अपने आवास खाली कर इस आदेशका पालन करना होगा और इनके नाम नारायण दत्त तिवारी, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह और मायावती हैं।
जिन राज्योंके मुख्यमन्त्री रहे राजनेताओंको यह सामान्यसा ज्ञान भी नहीं है कि शासकीय (सरकारी) पदको त्यागनेके पश्चात् शासकीय आवासको भी शीघ्र अति शीघ्र रिक्त करना चाहिए एवं उन्हें वहांसे निकालने हेतु न्यायालयको निर्देश देना पडता है, ऐसे राज्यकर्ताओंसे हम राष्ट्र और समाजकी उन्नतिकी अपेक्षा भी कैसे कर सकते हैं ? स्वार्थान्ध राजनेताओंसे भरी इस लोकतान्त्रिक व्यवस्थाको अब परिवर्तित कर राष्ट्र और धर्मके कल्याणका विचार करनेवाले कर्त्तव्यनिष्ठ, त्यागी प्रवृत्तिके राज्यकर्ताओंवाले हिन्दू राष्ट्रका निर्माण करना अति आवश्यक हो गया है ।


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