उत्तिष्ठ कौन्तेय !


पश्चिम बंगाल : तालाबमें हाथ और पांव बांधे हुए स्थितिमें मिला भाजपा कार्यकर्ताका शव !
एक और दलित भाजपा कार्यकर्ताकी हत्या
पश्चिम बंगालमें भाजपा कार्यकर्ताओंकी हत्याका क्रम थमनेका नाम नहीं ले रहा है ! अब मुर्शिदाबादमें ५४ वर्षीय दलित भाजपा कार्यकर्ता धर्मराज हाजराकी हत्याका प्रकरण सामने आया है । हजराका शव मुर्शिदाबादमें शक्तिपुर पुलिस स्टेशनके तलदांगा गांवके एक तालाबमें तैरता मिला है ! उसके हाथ रस्सीसे बांधे हुए थे ! भाजपाने इस हत्याके लिए पश्चिम बंगालकी सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेसको (टीएमसी) उत्तरदायी ठहराया है । हाजरा रविवार रातको ‘लापता’ हो गया था और सोमवार तालाबसे उसका शव प्राप्त हुआ । उसके हाथ रस्सीसे बन्धे हुए थे !’ भाजपाका कहना है कि हाजरा उसके दलका कार्यकर्ता और ‘कोर समिति’का सदस्य था। पंचायत चुनावके पश्चात, उसको निरन्तर धमकियां मिल रही थीं ।
भाजपाके कार्यकर्ताओंकी हत्या अब सामान्य समाचार बनने लगी है | जो पक्ष केन्द्रमें रहकर भी अपने संरक्षणमें कार्य करनेवाले कार्यकर्ताओंकी रक्षा नहीं कर सकता है, वह दल, इस देशकी जनताकी रक्षा करनेमें सक्षम है क्या ? अब यह प्रश्न हिन्दुत्वनिष्ठोंके मनमें निर्माण होने लगा है ! यह पक्ष अपने कार्यकर्ताओंकी हत्या करनेवाले दलके विरुद्ध कुछ करता क्यों नहीं है ? क्या मात्र शाब्दिक विरोधसे इस प्रकारकी राजनीतिक हत्याएं रुकेंगी ? क्या ऐसे दल, जो ऐसी राजनीतिक हत्याएं करता है,  उसे शासन करनेके अधिकारसे प्रतिबन्धित नहीं करना चाहिए ? जब भाजपाका केन्द्रमें है तो बंगालमें लोकतन्त्रकी हत्या होनेपर, वहां राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया जा रहा है ? क्यों भाजपा बंगालको दूसरा कश्मीर बननेकी चूकको दोहरा रही है ? ऐसेमें कांग्रेस और भाजपामें क्या भेद रह जाएगा ? बंगालमें क्या हो रहा है, क्या इसकी भाजपाको भनक नहीं है ?, यदि है तो वह उसका विरोध क्यों नहीं कर रही है ? – तनुजा ठाकुर



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