उत्तिष्ठ कौन्तेय !


मन्दिरमें आरतीके स्थानपर हुआ रोजा इफ्तार, क्या किसी मस्जिदमें कभी किया गया है, नवरात्रका भण्डारा !
रविवार १०, जूनकी संध्याको आरतीके स्थानपर लखनऊके प्रसिद्ध मनकामेश्वर मन्दिरमें यहां ‘रोजा इफ्तार’का आयोजन किया गया । यह मनकामेश्वर मन्दिरकी महन्त दिव्या गिरीके नेतृत्वमें किया गया !
क्या ‘भाईचारे’का सम्पूर्ण उत्तरदायित्व मात्र हिन्दुओंने ले रखा है ?, क्या कभी किसी मस्जिदमें माताकी चौकी या गणेश चतुर्थी या नवरात्र निमित्त भण्डारा रखा गया है ? हिन्दुओंकी सर्वधर्मसमभावकी इस उदार मनोवृत्तिने आज इस देश और धर्म दोनोंके लिए संकट उत्पन्न कर दिया है । मुसलमान अपनी कट्टरता और धर्मान्धता छोडते नहीं और हिन्दू अपनी उदारता छोडता नहीं; इसलिए आज इस देशमें आठ राज्योंमें हिन्दू अल्पसंख्यक हो चुका है ! आजके ऐसे मठाधीशों और धर्मगुरुओंको भी बन्धुत्व (भाईचारा) और शान्ति कैसे स्थापित हो सकती है ?, यह सिखानेकी अत्यधिक आवश्यकता हो गई है !  एक ओर राज्यकर्ताओंकी नपुंसक नीतियोंके कारण कश्मीरमें प्रतिदिन धर्मान्ध, हमारे सुरक्षाकर्मियोंको घात लगाकर मार रहे हैं और हम हिन्दू, अपने पवित्र मन्दिरमें गोमांस भक्षकोंको ‘इफ्तार’का भोज करा रहे हैं ! ऐसे सभी धर्मगुरुओंने पहले तो धर्मशास्त्रोंका अभ्यास करना चाहिए और कश्मीरमें थोडे दिन रहकर अपने प्रेमसे वहां भाईचारा लाना चाहिए या वे जाकर आतंकियोंको सुधारें अर्थात आतंकी कार्यवाही बन्द कराएं एवं तत्पश्चात ही वे ‘इफ्तार’ भोज दें ! हम भी देखना चाहते हैं कि सचमें उनका कितना प्रेम और सहिष्णुता है !  वाह रे ! हिन्दुओंका धर्मप्रेम और राष्ट्रप्रेम ! – तनुजा ठाकुर (१३.६.२०१८)



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