छत्तीसगढके कवर्धाके जिलाधिकारीने बेटीको शासकीय विद्यालयमें कराया प्रविष्ट
शासकीय (सरकारी) विद्यालयोंपर सदैवसे ही पढाई-लिखाईको लेकर प्रश्नचिन्ह निर्माण लगते ही रहे हैं । ऐसेमें कवर्धाके जिलाधिकारी श्री अवनीश कुमार शरणने अपनी बच्चीका प्रवेश शासकीय विद्यालयमें कराया है । कवर्धा जनपदमें ये नव पदस्थ प्रशासनिक अधिकारी शिक्षाके विषयोंको लेकर चर्चामें रहते हैं । ये सदैव ही शिक्षाको प्राथमिकता देते रहे हैं । बता दें इससे पहले अवनीश बलरामपुरमें पदस्थ थे, जहां उन्होंने अपनी बेटीको पहले एक वर्ष तो आंगनवाडी भेजा, इसके पश्चात अपनी बेटीका प्रवेश बलरामपुरके ही शासकीय विद्यालयमें करवाया । अवनीश शरणका मानना है कि इससे दूसरोंकी भी शासकीय विद्यालयके प्रति धारणा परिवर्तित होगी । शिक्षाके प्रति गम्भीरता और उसमें सुधारके लिए इस आरम्भिक प्रयत्नकी (पहल) निरन्तरता बनाए रखते हुए अपनी बेटीका प्रवेश एक शासकीय विद्यालयमें ही करवाया ।
वस्तुत: प्रत्येक शासकीय अधिकारी एवं राजनीतिज्ञोंकी सन्तानोंका शासकीय विद्यालयमें ही शिक्षण ग्रहण करना अनिवार्य कर देना चाहिए ! इससे सामान्य व्यक्ति जो अपने बच्चोंको बडे-बडे निजी अंग्रेजी माध्यमवाले विद्यालयोंमें पढाने हेतु धन कमानेमें लगते हैं, वे साधनामें समय दे पाएंगें और शिक्षाके स्तरमें स्वतः ही सुधार हो जाएगा ! आज सामान्य व्यक्तिकी आयका ४०% धन, रोग और बच्चोंकी शिक्षामें व्यय हो जाता है, यदि समाज नीरोगी हो जाए और शिक्षाका स्तर सुधर जाए तो लोग भोगसे थोडा समय योग अर्थात साधनाको देने लगेंगे । हिन्दू राष्ट्रमें निजी विद्यालय नहीं होंगे, सर्वत्र शासनद्वारा पोषित गुरुकुल व्यवस्थाकी शिक्षण पद्धति होगी !
वैसे इन अधिकारी महोदयका यह चरण, आजके शिक्षण व्यवस्थामें सुधार हेतु एक स्तुतियोग्य चरण है । – तनुजा ठाकुर (१९.६.२०१८)
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