आप सोचते हैं कि मन्दिरोंमें किया हुआ दान, पैसा / सोना,..इत्यादि हिन्दू धर्मके उत्थानके लिए उपयोगमें आ रहा है और आपको पुण्य मिल रहा है तो आप निश्चित ही बडे भोले हैं । कर्नाटक ‘सरकार’के मन्दिर एवं पर्यटन विभाग (राजस्व) द्वारा प्राप्त जानकारीके अनुसार १९९७ से २००२ तक पांच वर्षोंमें कर्नाटककी कांग्रेस सरकारको राज्यमें स्थित मन्दिरोंसे “केवल चढावेमें” ३९१ करोडकी राशि प्राप्त हुई, जिसे निम्न स्थानोंमें व्यय किया गया-
१) मुस्लिम मदरसा उत्थान एवं हज मक्का मदीना अनुदान (सब्सिडी), विमान टिकट –१८० करोड (अर्थात् ४६%)
२) ईसाई चर्चको अनुदान (To convert poor Hindus into Christian) – ४४ करोड (अर्थात् ११.२%)
३) मन्दिर व्यय एवं रखरखाव – ८४ करोड (अर्थात् २१.४%)
४) अन्य – ८३ करोड (अर्थात् २१.२%)
कुल ३९१ करोड !!!!!
ये तो केवल एक राज्यका लेखा-जोखा (हिसाब) है, प्रतिदिन सहस्रों-करोडोंकी राशिका अर्पण / सोना-चांदीका दानका सत्य हिन्दुओंको ही पता नहीं चलेगा…भगवद्गीतामें भगवानने बताया है कि दान देते समय अपनी विवेक बुद्धिसे दान दें…जिससे वह धर्म/ राष्ट्रके हितमें उपयोग हो अन्यथा दाता पापका ही भागीदार है । हिन्दुओंके पैसोंसे, हिन्दुओंके ही विनाशका षड्यंत्र ६० वर्षोंसे चल रहा है और
यह सच्चाई हिन्दुओंको पता ही नहीं !!! विचारणीय है…….