जिस देशकी स्त्रियोंने वासनान्ध मुसलमानोंकी शरणमें जाकर, धर्मान्तरित एवं बलात्कार पीडिताके रूपमें जीनेकी अपेक्षा जौहर करना अधिक उचित समझा, उसी देशकी स्त्रियां और युवतियां आज धर्माभिमानके अभावमें स्वेच्छासे मुसलमानोंके संग प्रेमकर, निकाह करती हैं और ‘लव जिहाद’के चंगुलमें फंसकर अपने जीवनका सर्वनाश कर लेती हैं । देशमें दिन प्रतिदिन ‘लव जिहाद’के प्रकरणोंमें वृद्धि हो रही है । इससे यह ज्ञात होता है कि यह तथाकथित धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था इस देशको और यहां रहनेवालोंको कैसे एक अन्धे कुएंकी ओर धकेल रही है; अतः हमें धर्मनिरपेक्ष नहीं; अपितु धर्म सापेक्ष राष्ट्रीय व्यवस्थावाला हिन्दू राष्ट्र चाहिए !, जहां प्रत्येक हिन्दूमें कूट-कूटकर धर्माभिमानका बीजारोपण बाल्यकालसे ही किया जाएगा एवं जहां कोई भी स्त्री किसी अहिन्दूके कुटिल जालमें कभी भी नहीं फंसेगी ।
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