उत्तिष्ठ कौन्तेय !


जम्मू-कश्मीरकी पूर्व मुख्यमन्त्री महबूबा मुफ्तीने कहा है कि पाकिस्तान आने-जानेके लिए जिसप्रकारसे पंजाबकी सीमा खोली गई है, ठीक उसीप्रकारसे कश्मीरकी सीमा भी खोली जाए । उन्होंने कहा कि जब हम पाकिस्तानका नाम लेते हैं तो हमें भारत विरोधी बताया जाता है; किन्तु यह सच्चाई है कि बिना पाकिस्तानसे चर्चा किए, कश्मीर समस्याका समाधान निकालना कठिन है ।
महबूबाजी, भारत पिछले सात दशकोंसे पाकिस्तानसे चर्चा नहीं तो क्या कर रहा है ? युद्ध तो वह उछल-उछल कर करता है, हम शान्तिके पुजारी तो आज भी कबूतर ही उडा रहे हैं ! यहां तक कि युद्धमें बंदी बनाए गए सहस्रों पाकिस्तानी सैनिकों एवं भारतका अभिन्न भाग कश्मीरके कुछ भागको भी उन्हें दे दिया, जिसे आज विश्व ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’ कहता है ! यहां तक कि युद्धमें जीती हुई लाहौरकी भूमि भी हमने ‘ताशकंद सन्धि’ अन्तर्गत उन्हें दानमें दे दी है ! पाकिस्तान हमारे उपकारोंको गिनती करने योग्य भी कहां है !
और रही बात कश्मीरसे सीमा खोलनेकी, तो वह खुली ही है, इतने सारे आतंकवादी आकाश मार्गसे उडकर या जलमार्गसे तैरकर थोडे ही कश्मीरमें आ रहे हैं ! जिन्हें चोरी-छिपे आनेकी वृत्ति हो जाए, उनके लिए द्वार खोलनेकी क्या आवश्यकता है ? वे बिना द्वार खोले ही सब कर रहे हैं, अब द्वार खोल दिया तो सारे पाकिस्तानी भारतमें होंगे और हम हिन्दू तम्बूमें होंगे ! जो आपलोगोंने कश्मीरी पण्डितोंकी दुर्दशा की थी, वही होगा ! आपके इस विष वमनसे पुनः पाकिस्तान प्रेमकी एवं राष्ट्रद्रोहकी दुर्गन्ध आ रही है ! – तनुजा ठाकुर (१६.१२.२०१८)



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