इस देशके शासकवर्गको लगता है कि नोटबन्दी कर, वे भारतको भ्रष्टाचारसे मुक्त कर देंगे । वस्तुतः दुर्जनोंद्वारा अपने काले धनको छुपानेका या उसे श्वेत करनेके नित्य नए प्रकार सामने आ रहे हैं और इसमें ‘बैंक’के तथा अन्य प्रशासकीय वर्गके अधिकारी उनका साथ दे रहे हैं । वृत्त प्रकाशित हुआ है कि सार्वजनिक क्षेत्रके विभिन्न कोषागारोंके (बैंकोंके) काले धनको श्वेत करनेके क्रममें लिप्त होनेकी आशंकासे २७ अधिकारियोंको निलम्बित कर दिया गया है तथा ६ अधिकारियोंको बिना संवेदनशील पदोंपर स्थानान्तरित कर दिया गया है । इससे यह स्पष्ट होता है कि धर्मविहीन व्यक्तिकी अन्तरात्मा मर चुकी होती है, उसे राष्ट्र या समाजसे कुछ भी लेना-देना नहीं होता; अतः ऐसा व्यक्ति कभी राष्ट्रहितका विचार नहीं कर सकता है, ऐसेमें राष्ट्रके विधानोंमें तात्कालिक परिवर्तनसे उसकी वृत्ति नहीं परिवर्तित हो सकती । इस हेतु धर्म एवं साधनाकी सीख देनेवाली तथा समाजको धर्माचरणी बनानेवाली धर्मसापेक्ष राष्ट्रीय व्यवस्था चाहिए अर्थात् हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना करनेसे ही भारत भ्रष्टाचारमुक्त हो सकता है ।
– तनुजा ठाकुर
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