आजकी घृणित राजनीतिसे चरित्रवान रखते हैं दूरी      


Chanakya

आर्य चाणक्यने कहा है, “राष्ट्रस्य मूल: इन्द्रियनिग्रह:” अर्थात जो अपनी इन्द्रियोंका निग्रह कर लेता है, वही राज्य करनेका खरा अधिकारी होता है, इसके विपरीत आज राज्य वही कर रहा है जो पूर्ण रूपेण विषय-वासनाओंमें लिप्त है । इससे ही समझ सकते हैं कि कालकी दिशा कितनी विपरीत चल रही है । जितेन्द्रिय राज्यकर्ताओंको सत्तारूढ करने हेतु हिन्दू राष्ट्रकी स्थापना करना अपरिहार्य हो गया है; क्योंकि आजकी घिनौनी राजनीतिमें कोई भी चरित्रवान, नीतिवान जानेसे भी संकोच करता है, जितेन्द्रिय पुरुषोंकी बात ही जाने दें ! – तनुजा ठाकुर



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