विजेतव्या लंका चरणतरणीयो जलनिधि ।
विपक्ष: पौलस्त्यो रणभुवि सहायाश्च कपय: ।।
तथाप्येको राम:सकलमवधीद्राक्षसकुमं ।
क्रियासिद्धि: सत्वे भव्ति महतां नोपकरणे ।।
अर्थ : प्रभु श्रीरामको रावणको हराने हेतु समुद्रको पार करना पडा । उनके शत्रु रावण शक्तिशाली थे और उनके सैनिक वानर थे अर्थात परिस्थितियां विपरीत थीं तथापि प्रभु श्रीरामने असुरोंका संहार किया । महान व्यक्तिके यश उनकी स्वयंकी क्षमतापर निर्भर करता है, वे यशस्वी होने हेतु किस माध्यमका प्रयोग करते हैं, उसपर नहीं निर्भर करता !
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