उतिष्ठ कौन्तेय


उतिष्ठ कौन्तेय (०२/०४/२०२०)

१. निजामुद्दीनसे पकडे गए जिहादियोंके विषयमें चिकित्सकोंने बताया कि वे ऐसे कृत्य कर रहे हैं, जिससे संक्रमण फैलनेका संकट है । बससे ले इन्हें ले जाते समय, ये सभी लोग इधर-उधर थूक रहे हैं और अधिकारियोंकी बात नहीं मान रहे हैं । ये सभी बसकी खिडकियोंसे भी थूक रहे थे । कर्मचारी भी उनलोगोंसे व्यथित हैं । उल्लेखनीय है कि निजामुद्दीनमें मिले इन धर्मान्धोंने वीजा नियमोंका भी उल्लंघन किया है, ऐसा गृह मन्त्रालयने बताया है और स्थानीय लोगोंने मस्जिदमें छिपे विदेशियों और अन्य मुसलमानोंका पूरा साथ दिया !
     केन्द्र शासनको यदि देश बचाना है तो अब कठोर पग उठाने ही होंगें; क्योंकि जिन जिहादियोंके लिए वे तुष्टिकरण करते आए हैं, वे स्वयं इनका आज बंदीके सर्व प्रयत्नोंपर पानी फेर रहे हैं  | शासन इनकी चिकित्सा बन्द करके इन्हें त्वरित अपने देश भेजे और यहां इनका साथ देनेवालोंको दण्डित करे तथा इस समस्याका मूल जमातको भारतसे समाप्त करे !
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२. आसाराम बापूके जम्मूके  भगवती नगर स्थित आश्रममें तीन शव कंकालोंका झूठा समाचार फैलानेके अपराधमें भोलानन्दको पुलिसने बन्दी बनाया है । पूछताछके मध्य भोलानन्दने अपना बचाव करनेके प्रयासमें वक्तव्य बार-बार परिवर्तित करते हुए इसे ‘अफवाह’ बताया और कहा कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है ! उसने कहा कि किसी समाचार संस्थाके पत्रकार व सम्पादकने उसे अपने आपको प्रसिद्ध बनानेके लालचमें ऐसा बोलनेका झांसा दिया था । पुलिस इसकी जांच कर रही है ।
    हिन्दूद्रोही व सन्तोंको झूठे आरोपमें फंसानेवाले ऐसे समाचार संस्थाओंका अब बहिष्कार होना चाहिए; क्योंकि विदेशी धनसे पोषित ऐसे संस्थान हिन्दू धर्मकी अत्यधिक हानि कर चुके हैं और ईसाईयों व जिहादियोंके पोषक सिद्ध होते हैं; अतः हिन्दू अब नेत्र खोलें और इनके विरुद्ध  खडे हों !
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३. अजमेरके सरवाड स्थित ख्वाजा फखरुद्दीन चिश्ती दरगाहके पास मंगलवार, ३१ मार्चको बडी संख्यामें मुसलमान प्रार्थनाके लिए एकत्र हो गए, जिन्हें भगानेके लिए पुलिसको बल-प्रयोग करना पडा । पुलिसने बताया कि अजमेरमें चादर चढानेके लिए ५ लोगोंको अनुमति दी गई थी; परन्तु वहां भारी भीड एकत्र हुई और हटनेके लिए कहनेपर वे पुलिसके साथ ही भिड गए ।
   समाचार यह स्पष्ट करता है कि जिहादियोंको न्याय व्यवस्थाका कोई भय नहीं है और न ही वे देशके नागरिकोंके स्वास्थ्यको लेकर चिन्तित हैं । ये कैसी प्रार्थना है, जो देशको मारनेपर उतारू है ! केन्द्र ऐसी दरगाहोंपर कठोर कार्यवाही करनेके लिए अब किस समयकी प्रतिक्षा कर रहा है ?
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४. बिहारके मधुबनी जनपदके गीदडगंज गांवकी एक मस्जिदमें सामूहिक नमाज रुकवाने पहुंची पुलिसपर आक्रमण करनेकी घटना उजागर हुई है । पुलिसको सूचना मिली थी कि १०० से अधिक जमाती मस्जिदमें रुके हैं । पुलिसके पहुंचनेपर धर्मान्धोंने उनपर पत्थरबाजी और गोलीबारी की । पुलिसके सदस्योंको एक किलोमीटर दूर तक खदेडा गया ! इसी अवसरका लाभ उठाकर मस्जिदमें ठहरे जमाती भाग निकलनेमें सफल रहे ! घटनाके पश्चात क्षेत्रमें तनाव बना हुआ है ।
     अब प्रशासनको सब मस्जिदोंको त्वरित बन्द करना चाहिए और जो नियमोंका उल्लंघन करे उन्हें कठोर दण्ड देना चाहिए ! यदि अब भी यह नहीं किया गया तो निश्चित ही देश बडे संकटमें होगा !
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५. देहलीके निजामुद्दीनमें स्थित तबलीगी जमातके मरकजकी घटना अब गम्भीर होती दिख रही है । मरकजसे निकाले गए दो सहस्त्र लोगोंमेंसे ६१७ को ‘कोरोना’ पाया गया है, शेष ‘क्वारंटीन’ किए गए हैं ।यही स्थिति भिन्न-भिन्न राज्योमें जमातसे लौटे धर्मांधोंकी है, जिनमेसे अनेकोंकी चिकित्सकीय जांचमें ‘कोरोना’ मिला है ! इसमे धर्मप्रसारका वीजा लिए कई विदेशी भी सम्मिलित है । अहमदाबादके गोमतीपुरमें तो पुलिसद्वारा पूछताछ करनेपर धर्मांधोंकी भीडने पथराव कर दिया ! यहां कसाई नी चाल क्षेत्रमें लोग विरोध करने लगे और पुलिसपर आक्रमण किया  !
     विचित्र है कि इन जिहादियोंका साहस इतना अधिक है कि वे अपराध करके भी पुलिसपर पथराव कर रहे हैं ! यह सब नेताओंके धर्मान्धोंको प्रथम श्रेणीकी सुविधाएं देनेके कारण ही है, जिसके वे योग्य नहीं !


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