उतिष्ठ कौन्तेय


उतिष्ठ कौन्तेय (०४/०४/२०२०)

१. देहली शासनके स्वास्थ्य मन्त्री सत्येन्द्र जैनने जमातके पकडे गए जिहादियोंद्वारा पुलिसकर्मियों व चिकित्सकोंपर थूके जानेका व आक्रमण करनेका पक्ष लेते हुए कहा है कि यह सब भाषाकी कठिनाई है । उन्हें हिन्दी और अंग्रेजी नहीं आती है ! इसके अतिरिक्त जैनने कहा कि वे दूर-दूरके राज्योंके हैं । कई विदेशी हैं । दूसरा उनको लगता है कि हमको चिकित्सालयमें क्यों रखा गया है ?
     हिन्दी नहीं आती तो अशिष्टताकी सभी सीमाएं लांघ जाएंगें, यह आजतक किसी औरने क्यों नहीं किया, केवल जिहादी ही ऐसा क्यों करते हैं ? स्पष्ट है कि इनकी कथित मजहबी शिक्षा ही यही सिखाती है और ऐसे निकृष्ट कुकृत्योंको ढकनेका प्रयास करनेवाले ऐसे नेता भी उतने ही दोषी हैं, सभी इनका प्रतिकार करें !
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२. जिहादियोंद्वारा शासनके ‘लॉकडाउन’ उल्लंघनके प्रकरण प्रतिदिन उजागर हो रहे हैं । उत्तर प्रदेशके कन्नौज जनपदमें जामा मस्जिदमें धर्मान्धोंको सामूहिक रूपसे नमाज पढने हेतु रोके जानेपर उनकेद्वारा पुलिसबलको लक्ष्य बनाया गया व उनपर अत्यधिक पत्थर फेंके गए, जिसक कारण कई पुलिसकर्मी चोटिल हो गए ।
    शासन और प्रशासनद्वारा आग्रह करनेपर भी इन जिहादियोंमें कोई अन्तर नहीं पड रहा और वह निर्भीक होकर महामारी कालमें नियमोंका उपहास कर रहे हैं; परन्तु शासन अब भी कठोर कार्यवाही क्यों नहीं कर रहा ?, यह समझके बाहर है !
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३. महाराष्ट्र शासनके गृहमन्त्री अनिल देशमुखने कहा है कि उन्होंने प्रथम तो जमातको प्रदर्शनके लिए अनुमति दी थी; परन्तु महामारीके संकटको देखते हुए उन्होंने इसके लिए मना कर दिया । उन्होंने बताया कि तबलीगी जमातने अपने जलसेको लेकर अडनेका प्रयास किया था तो उन्होंने कडे ढंगसे वैधानिक कार्यवाही करनेकी चेतावनी दी । उल्लेखनीय है कि जमातने १२-१३ मार्चको ‘वसई सनसिटी’में ५०,००० लोगोंको एकत्र करनेकी योजना बनाई थी ।  मनाहीके उपरांत भी प्रदर्शनमें सम्मिलित होनेपर २११ विदेशी नागरिकोंके पारपत्र (वीजा) भी छीन लिए गए हैं ।
    आश्चर्य है कि जमात लोगोंको धर्म सिखाता है और स्वयं इस राष्ट्रके नियमकी धज्जियां उडाता है क्या सचमें ये धर्मप्रचारक हैं ?, यह प्रश्न मनमें निर्माण होता है !


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