उत्तिष्ठ कौन्तेय


पत्रकार आतिश तासीरकी मां तवलीन सिंहने किया हुतात्मा सैनिककी मांका अपमान
       लेखक और पत्रकार आतिश तासीरकी मां तवलीन सिंहने वीरगति प्राप्त एक सैनिककी मांके लिए अपमानजनक शब्दका प्रयोग किया । भारत शासनद्वारा चीनकी ५९ ‘ऐप्स’पर प्रतिबन्धके पश्चात तवलीन सिंहने इसका उपहास उडाते हुए ‘ट्विटर’पर लिखा कि क्या इन ‘ऐप्स’पर प्रतिबन्ध लगानेसे चीनी सैनिक हमारे क्षेत्रसे पीछे हट जाएंगे ।
     तवलीन सिंहकी इस टिप्पणीपर २९ नवम्बर २०१६ को नगरोटामें वीरगति प्राप्त हुए मेजर अक्षय गिरीश कुमारकी मां मेघना गिरीशने कहा कि चीनी सैनिकोंको पीछे खदेडने और सीमाकी रक्षाके लिए २० सैनिकोंने अपने प्राणोंकी आहुति दे दी । ऐसेमें यह अपमानजनक है । मेघना गिरीशकी विनम्र असहमतिके लिए, तवलीन सिंहने अपशब्दका आश्रय लिया । इसपर तवलीनने कहा कि वह उनसे अधिक देशभक्त है; क्योंकि वो एक सैनिककी पुत्री है और ‘आर्मी स्टेशन’में पली-बढी है । मुझे अपने ‘ट्विटर हैंडल’पर अपनी देशभक्तिको दिखानेकी आवश्यकता नहीं है, जैसे ‘बीजेपी ट्रोल’ करती है ।
     उल्लेखनीय है कि आतिश तासीरका ‘ओसीआई कार्ड’ मोदी शासनद्वारा निरस्त कर दिया था; क्योंकि आतिशने अपने पाकिस्तानी पिताके बारेमें नहीं बताया था; तासीरको इस सम्बन्धमें अपना पक्ष रखनेका अवसर दिया गया था; परन्तु उसने इसपर कोई संज्ञान नहीं लिया था ।
       जिहादी पत्रकारोंका एक ही लक्ष्य है कि किसी भी प्रकार भारतको वैश्विक स्तरपर निकृष्ट बताना और पुत्र ऐसे हैं तो माता भिन्न कैसे हों ?, अन्ततः बालक संस्कार वहींसे तो पाते हैं । सभी राष्ट्रवादियोंको ऐसे लोगोंका बहिष्कार करना चाहिए एवं ‘शासन इन्हें दण्डित करे’, यह मांग करनी चाहिए ।(०२.०७.२०२०)
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कश्मीरमें एक माहमें दूसरी बार मस्जिदसे हुई गोलीबारी, ‘आइजी’ने मस्जिद समितियोंसे आतङ्कियोंको मस्जिदोंका प्रयोग न करने देनेका किया अनुरोध
     जम्मू-कश्मीरमें भारतीय सशस्त्र बल आतङ्कियोंको नष्ट कर रहे हैं, जिससे आतङ्की नागरिकोंपर घात कर रहे हैं । कश्मीरके पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमारने बताया कि आतङ्कियोंने ‘सीआएपीएफ’ दलपर मस्जिदसे ‘गोलाबारी की । उन्होंने बताया कि गत एक माहमें आतङ्कियोंने दूसरी बार मस्जिदका प्रयोग आतङ्की उद्देश्योंके लिए किया । उन्होंने कहा कि, “मैं मस्जिद समितियोंसे अनुरोध करता हूं कि आतङ्कवादियोंको धार्मिक स्थलोंका उपयोग न करने दें ।” उन्होंने कहा कि गत वर्ष जनवरीसे जूनके मध्य १२९ युवा आतङ्की सङ्गठनोंमें सम्मिलित हुए । हम युवाओंके माता-पितासे याचिका करते हैं कि उन्हें मुख्यधारासे जोडनेके लिए पग उठाएं ।”
         विचित्र है कि ‘आईजी’ सब कुछ जानते हुए भी मस्जिदोंसे अनुरोध कर रहे हैं और माता-पिता यदि योग्य देशभक्तिके संस्कार बच्चोंको देते तो वे भटककर आतङ्की क्यों बनते ? ऐसे माता-पितासे वे अपने बच्चोंको योग्य पग बढानेके लिए कह रहे हैं ! सम्भवतः उन्हें शासनसे यही बोलनेका आदेश हो; अन्यथा ‘वोटबैंक’पर प्रभाव पड सकता है । जिन मस्जिदोंसे अनुरोध किया जा रहा है, कहीं वे ही तो आतङ्ककी समर्थक नहीं ? शासन कमसे कम एक बार जांच तो करें । (०२.०७.२०२०)
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मेहताबद्वारा अपनी बहनसे बलात्कारके प्रतिशोधके लिए जाकिरने की मेहताबकी तिहाडमें चाकू मारकर हत्या
    देहलीके तिहाड कारावासमें एक बन्दी जाकिरने अपनी बहनके साथ दुष्कर्मका प्रतिशोध लेनेके लिए दूसरे बन्दी मोहम्मद मेहताबकी चाकू मारकर हत्या कर दी । मेहताबद्वारा बलात्कारके पश्चात जाकिरकी बहनने आत्महत्या कर ली थी । इसीके प्रतिशोधके लिए आरोपी २०१८ में तिहाडमें बन्द हुआ । साथी बन्दियोंसे बिना कारण झगडा किया, जिससे प्रशासन उसे उसी ‘वार्ड’में भेज दे, जहां उसकी बहनका बलात्कारी था ।
      जिहादी अपने संस्कारों अनुरूप बलात्कार सदृश घृणित कार्योंमें पकडे जाते रहते हैं, फिर वह रेपजिहादके प्रकरण हों अथवा अपने ही समुदायकी युवतियोंसे बलात्कारके प्रकरण हों; क्योंकि इस्लाममें स्त्रीको आरम्भसे ही एक भोगकी वस्तु बताया जाता है । वस्तुतः जिहादी मेहताबको न्यायालयद्वारा मृत्युदण्ड दिया जाना था; परन्तु उसके भाईद्वारा यह करना दुखद है; न्यायव्यवस्थाको भी हमें सुधारना होगा, जिससे बलात्कार सदृश घृणित कृत्य करनेवालेको त्वरित मृत्युदण्ड दिया जाए ।
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पत्रकार राजदीप सरदेसाईने गणपतिको हीन दिखाया
       महाराष्ट्रके विश्व प्रसिद्ध ‘लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मण्डल’ने महामारीके कारण इस बार गणेश उत्सवके आयोजनको स्थगित कर दिया है; परन्तु उसके स्थानपर ‘आरोग्य उत्सव’ मनानेकी घोषणा की है, जिसके अन्तर्गत रक्त व ‘प्लाज्मा’ दान शिविरका आयोजन किया जाएगा । इस घोषणाके पश्चात वामपन्थी विचारधारावाले ‘इंडिया टुडे’के सम्पादक राजदीप सरदेसाईने सामाजिक जालस्थल ‘ट्विटर’पर अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि ‘इस बार ‘लालबागचा’ नहीं आएंगे; ‘कोरोना’के कारण मुम्बईकी वर्षों पुरानी परम्परा चली गई । सोचिए, भगवानने भी महामारीके आगे पराजय स्वीकार कर ली ।‘ इस वक्तव्यके पश्चात राजदीपको अनेक हिन्दुओंने लताडा । पुलिस अधिकारी प्रणब महाजनने उत्तर देते हुए कहा कि सर्वशक्तिमान कभी घुटने नहीं टेकते; अपितु वह तो प्रसन्न हैं कि उनके भक्तोंको यह ज्ञात है कि इस चुनौतीका समाधान किस प्रकार करना है ? वहीं शिवसेना दलकी नेता प्रियंका चतुर्वेदीने भी अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि राजा व त्योहारपर इनकी अल्प जानकारीसे भरा यह वक्तव्य उन्हें भयानक बनाता है ।
      जब सऊदी शासनद्वारा हजके लिए इस बार तीर्थयात्रियोंको न भेजा जाए यह आदेश आया, तब इस बातपर राजदीपने  ऐसा ही  वक्तव्य क्यों नहीं दिया ? अब वे नियम पालन करनेवाले हिन्दुओंके प्रकरणमें लज्जाहीन होकर गणपति देवका अपमान कर रहे हैं । समाचार सिद्ध करता है कि इसका मुख्य उद्देश्य हिन्दुओंकी भावनाओंको आहत करना है; अतः हिन्दुओ ! मुखर होकर ऐसे धर्मद्रोहियोंका विरोध करे। (०२.०७.२०)
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आतङ्कीकी गोलीसे मरे कश्मीरीके प्रकरणने जिहादियोंने मढा ‘सीआरपीएफ’पर दोष   
     उत्तरी कश्मीरके सोपोरमें बुधवार प्रातःकाल एक विपणिमें (बाजारमें) ‘सीआरपीएफ’की टुकडीपर हुए आतङ्की आक्रमणमें ‘सीआरपीएफ’के उच्च पुलिसकर्मीकी मृत्यु हो गई, जबकि अन्य तीन सुरक्षाकर्मी चोटिल हो गए । आतङ्कियोंके आक्रमणमें ६५ वर्षीय बशीर अहमद भी मारा गया, जो अपने तीन वर्षीय नातीको लेकर विपणि गया था । सुरक्षाबलोंद्वारा बालकको बचा लिया गया ।  इसके पश्चात ‘सोशल मीडिया’पर जिहादियोंने भारतीय सेना और सुरक्षाबलोंकी छविको धूमिल करनेके उद्देश्यसे एक छद्म योजना रची । इसके अन्तर्गत सामाजिक प्रहार माध्यमपर एक छायाचित्र प्रसारित हुआ, जिसमें वह बच्चा अपने नानाके शवके ऊपर बैठा है । जिहादियोंने इसे यह कहकर प्रसारित किया कि ‘सीआरपीएफ’की गोलीसे बशीर अहमदकी मृत्यु हो गई ! साथ ही जिहादियोंने एक ‘वीडियो’ साझा किया है,  जिसमें कहा जा रहा है कि मृतक बशीर अहमदके पुत्रने अपने पिताकी मृत्युके लिए ‘सीआरपीएफ’को उत्तरदायी बताया है, जबकि उस ‘वीडियो’को देखने और सुननेपर ज्ञात होता है कि उन्होंने अपने पिताकी हत्याके लिए ‘सीआरपीएफ’को दोषी नहीं बताया है । सोपोर पुलिसने इसके पश्चात लिखा है, “यह समाचार सामने आया है कि बशीर अहमदको वाहनसे उतारकर मार दिया गया । यह पूर्ण रूपसे निराधार है और तथ्योंसे परे है, सोपोर पुलिस समाचारका खण्डन करती है ।”
      सैनिक बलात्कार करते हैं, सैनिक कश्मीरीको गोली मारते हैं और भी अन्य बहुत कुछ हैं, जो जिहादियोंके अनुसार सैनिक करते हैं; परन्तु सत्य तो यह है कि पापी पाकिस्तानके अधीन जानेसे ये ही सैनिक अपने प्राणपर खेलकर उन्हें बचा रहे हैं और ये ही सैनिक हैं, जो इन्हें बाढ व भूकम्पमें रक्षण करते हैं ! धीरे-धीरे जिहादियोंकी इस घृणित मानसिकतासे सभी अवगत हो रहे है !  शासनने सेनाके प्रति ऐसे असत्य प्रसारित करनेके लिए ऐसे देशद्रोहियोंपर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए ! (१.०७.२०)
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गुजरातमें मन्दिरकी प्रतिमाको लात मारकर क्षति पहुंचानेवाले युवकोंको बनाया गया बन्दी
     गुजरातके राजकोटमें दो युवकोंने मन्दिरकी प्रतिमाओंको क्षतिग्रस्त किया । उनमेंसे एकने लात मारकर नन्दीकी प्रतिमाको गिरा दिया और क्षति पहुंचाई । दोनोंके नाम जयेश और दिनेश हैं । दोनोंने ‘टिकटॉक’पर दृश्यपट (वीडियो) डालनेके लिए इस प्रकारका अपराध किया है और हिन्दुओंकी आस्थापर प्रहार किया है । उक्त युवक यहींपर नहीं रुका, वरन उसने मन्दिरके द्वारपर भी लात मारी, साथ ही एक अन्य आरोपी युवकने भी ‘वीडियो’ बनाते हुए मन्दिरकी प्रतिमाको क्षतिग्रस्त कर दिया और उसका अपमान किया । दोनों अपराधियोंको पुलिसने तत्काल बन्दी बना लिया है और कार्यवाही की जा रही है ।
     जयेश और दिनेश, दोनों ही हिन्दू हैं और हिन्दू होकर ये हिन्दू देवताओंको लात मार रहे हैं, यह प्रकरण आज सभी हिन्दुओंके नेत्र खोलनेवाला है कि आज नामके हिन्दू बने लोग अपने बालकोंको क्या सिखा रहे हैं ? ऐसे निकृष्ट हिन्दू होनेसे अच्छा तो ऐसे लोगोंको धर्मसे बाहर करना ही है । सभी हिन्दुओंने सामाजिक रूपसे इन दोनोंका बहिष्कार करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये जहां जाएं, वहीं इन्हें निवास योग्य स्थान भी न मिले । जिनके संस्कार नष्ट हो चुके हैं, उन्हें दण्ड देकर ही सुधारा जा सकता है, अन्य कोई माध्यम नहीं ! (०२.०७.२०२०)
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उद्धव ठाकरेने महाराष्ट्रकी पाठशालाओंके पश्चात अब शासकीय कार्यालयोंमें अनिवार्य की मराठी भाषा
     महाराष्ट्रके मुख्यमन्त्री उद्धव ठाकरेने २९ जूनको सभी शासकीय कार्यालयोंको निर्देश दिया कि लिखित सञ्चार हेतु मराठी भाषाका प्रयोग किया जाए ! ऐसा न करनेपर वेतनवृद्धि रोक दी जाएगी एवं उनकी गोपनीय सेवापुस्तिकामें नकारात्मक टिप्पणी लिखी जाएगी तथा उस कर्मचारीको आदेशकी अवहेलना करनेका योग्य कारण बताना होगा ।
      उद्धव शासनका यह आदेश स्वागत योग्य है; परन्तु यदि कोई मराठीमें राष्ट्रको अपशब्द कहे और जिहादियोंका तुष्टीकरण करे तो कैसा लगेगा ? क्या यह शिवाजी महाराजका अपमान नहीं होगा ?; अतः उद्धव ठाकरे मराठीके साथ-साथ अपने वचनानुसार हिन्दुओंके उत्थान हेतु कार्य करे, यही उनके लिए योग्य होगा !
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आयुर्वेदिक औषधि ‘कोरोनिल’पर बाबा रामदेवने साझा की अपनी पीडा
     ‘कोरोनिल’पर उपजे विवादपर बाबा रामदेवने अपने विरुद्घ कई राज्योंमें हुई प्राथमिकीपर अपनी पीडा साझा की और अपने विरुद्घ जारी ‘विच हंट’पर उन्होंने पूछा है कि उनके साथ ऐसा व्यवहार क्यों किया जा रहा है, जैसा आतङ्कवादियोंके साथ किया जाता है ? आयुष मन्त्रालयने भी ‘पतंजलि आयुर्वेद’के विषयमें कहा है कि उसने ‘कोविड-१९’के क्षेत्रमें अच्छा कार्य किया है । बाबा रामदेवने कहा कि इस वक्तव्यसे विरोधियोंके कुसङ्कल्प निष्फल हो गए हैं । हम सब कुछ आधुनिक विज्ञानकी प्रक्रियाके अनुसार कर रहे हैं एवं औषधिके लिए अनुमतिपत्र (लाइसेंस) भी वैधानिक प्रक्रियाके अन्तर्गत लिए गए हैं ।
       इसके अतिरिक्त बाबाने कहा कि क्या केवल ‘कोट’ और ‘टाई’ पहननेवाले ही शोध करनेके अधिकारी हैं, धोतीवाले नहीं कर सकते ?
      उन्होंने कहा कि ‘पतंजलि आयुर्वेद’ने ‘कोरोनिल’से सम्बन्धित सम्पूर्ण शोध आयुष मन्त्रालयको दिया था, जिसे कोई भी देख सकता है । आयुष मन्त्रालयने इसे ‘इम्युनिटी बूस्टर’ बताते हुए उन्हें अनुमतिपत्र (लाइसेंस) दे दिया । यद्यपि मन्त्रालयने ‘पतंजलि’को यह स्पष्ट किया कि वह ‘कोरोनिल’को ‘कोरोना’का उपचार बताकर नहीं विक्रय कर सकते हैं । ‘दिव्य योग फार्मेसी’ ‘कोरोनिल’की ‘पैकेजिंग’पर ‘कोरोना’का उल्लेख कहीं भी नहीं कर सकती और न ही उससे सम्बन्धित चित्र छाप सकती है ।
       वह देश, जिसमें योग और आयुर्वेद चिकित्सासे सहस्रों वर्षोंसे लोगोंके अनेक रोग दूर किए, उसी देशमें आज यह स्थिति आ गई है कि आयुर्वेदके अनुसन्धानको भी सन्देहात्मक दृष्टिसे देखा जा रहा है ! ऐसा इसलिए भी है कि ‘ऐलोपैथी फार्मेसी’ जो कि भारतसे खरबों अर्जित करती हैं, उनकी ‘दुकान’ बन्द न हो ! ऐसेमें लोगोंको ही आगे आना होगा !


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