उत्तिष्ठ कौन्तेय


कर्नाटकमें स्वास्थ्यकर्मियोंपर आक्रमण करनेवाले १२६ उपद्रवियोंको कांग्रेस विधायक जमीर अहमदने दी १०,००० की धनराशि
     कर्नाटकके पडरायनपुरामें १९ अप्रैलको स्वास्थ्य कर्मचारियोंपर आक्रमणके आरोपमें १२६ उपद्रवियोंको कर्नाटकके ‘हज हाउस’में न्यायिक अभिरक्षामें ‘क्वारण्टीन’ किया गया था । कांग्रेस विधायक बीजेड जमीर अहमद खानने कथित रूपसे सभी १२६ आरोपियोंको १ लाख रुपएकी प्रतिभूति राशि (जमानत राशि) देकर न केवल छुडवाया, वरन उनका भव्य स्वागत भी किया ! इसके साथ ही प्रति व्यक्ति १०,००० रुपए  खाद्यान्न (राशन) और ‘हैंड सैनिटाइजर’ भी दिए । बन्दी बनाए गए १२६ उपद्रवियोंमेंसे कुछ ‘कोरोना’ सङ्क्रमित पाए गए थे । यहांतक कि पडरायनपुराके जेडीएस पार्षद इमरान पाशा भी ‘कोरोना’ जांचमे सङ्क्रमित पाया गया था, जिसे अधिकारियों द्वारा ‘आइसोलेशन’में ले जाए जानेके समय पाशाके सैकडों समर्थकोंने उनके घरके पास एकत्र होकर ‘नारे’ लगाए थे । उल्लेखनीय है कि पडरायनपुरा क्षेत्र, बेंगलुरुके ‘कोरोना’से सबसे प्रभावित क्षेत्रोंमेंसे एक है; अतः इसे ‘हॉटस्पॉट’ घोषित किया गया था और पुलिसद्वारा क्षेत्रको ‘सील’ करनेके लिए अवरोधक (बैरिकेड्स) लगाए गए थे, जिसे हिंसक भीडद्वारा तोड दिया गया था ।
    कांग्रेसका हाथ, सदाकी भांति ही यहां जिहादियोंके साथ दिख रहा है; परन्तु विचित्र है कि इस महामारीमें ये हाथ देशके साथ नहीं हो सका, ऐसे राजनीतिक दलोंको स्वयंपर लज्जा आनी चाहिए और इन्हें राजनीति करनेका भी कोई अधिकार नहीं होना चाहिए  ! (०४.०६.२०)
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‘तबलीगी जमात’के २२०० से अधिक सदस्य १० वर्षके लिए भारत आनेपर किए गए प्रतिबन्धित
      ‘तबलीगी जमात’के विदेशी सदस्य ‘विसा’ अर्थात विदेशी यात्री प्रवेशानुमति नियमोंका उल्लङ्घनकर ‘मरकज’के कार्यक्रममें सम्मिलित हुए थे । इनमें २२०० से अधिक विदेशियोंका केन्द्रीय गृहमन्त्रालयने आनेवाले १० वर्षोंके लिए भारत प्रवेश प्रतिबन्धितकर दिया है । इससे पूर्व ९६० विदेशियोंको भी प्रतिबन्धित करने हेतु चिह्नित किया है, इनमें ४ अमरीकी, ९ ब्रिटिश तथा ६ चीनी नागरिक थे ।  ये सभी पर्यटक ‘विसा’पर निजामुद्दीन मरकजमें सम्मिलित हुए थे ।  जिन विदेशियोंको ‘कोरोना’ सङ्क्रमित पाया गया, उन्हें देशके विभिन्न भागोंमें सङ्गरोध (क्वारण्टीन) किया गया । प्रतिबन्धित सूचीमें चिह्नित किए गए व्यक्तियोंमें ३७९ इण्डोनेशियाके, ११० बांग्लादेशी, ६३ म्यामारके और ३३ श्रीलंकाके हैं ।
       अधिकारियोंके अनुसार ७७ मलेशियाई , ६५ थाईलैण्डके, १२ वियतनामी, ९ सऊदी अरबके और १३ फ्रांसीसी नागरिक भी ‘विसा’ नियमोंका उल्लङ्घन करनेवालोंमें सम्मिलित थे । इन सभीपर आनेवाले १० वर्षोंके लिए भारत प्रवेशपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है । इन सभी ९६० विदेशियोंको चिकित्सालयसे अवकाश मिलनेपर तथा गृहबन्दी अवधि पूर्ण होनेपर देशसे बाहर किया जाएगा । देहली पुलिस अपराध शाखाने लगभग ७०० जमातियोंके पारपत्र (पासपोर्ट) हस्तगतकर लिए हैं । २११ विदेशियोंके पासपोर्ट उत्तरप्रदेश शासनने हस्तगत किए हैं ।
       देशमें फैली ‘कोरोना’ महामारीके ३०  प्रतिशत सङ्क्रमणको १७ राज्योंमें फैलानेका घृणित कार्य  लोगोंने किया है । आश्चर्य है कि इनके कथित धर्मगुरु मौलाना सादको अभीतक भारतीय पुलिस बन्दी नहीं बना पाई है और गृहमन्त्रालय मात्र ‘विसा’पर प्रतिबन्ध लगा रहा है ! क्या इस विशाल देशमें छुआछूतवाले रोगको फैलानेके लिए इन्हें कठोर दण्ड नहीं देना चाहिए था ? जब इस विनाशका मूल ‘जमात’ है, तो उसे क्यों नहीं भारतमें पूर्ण रूपसे प्रतिबन्धित करना चाहिए ? सवा अरब जनसंख्यावाले जनसमूहके प्राणोंके साथ खिलवाड करनेवालोंको यह सामान्यसा दण्ड क्यों ? यह प्रश्न सभी हिन्दुओंके मनमें है !
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अन्तर्जालके आभासी खेल ‘पबजी’में मूर्तिपूजापर भडके सऊदी अरबके उलेमा, बताया इस्लामका अपमान
      अन्तर्जाल खेल ‘पबजी’ने जब अपने खेलका नवीनीकरणकर उसे प्रस्तुत किया तो उसके इस परिवर्तनको लेकर सऊदी अरब व कुवैतके उलेमाओंद्वारा विरोध आरम्भ हो गया । प्रतिवेदनके अनुसार इस खेलमें खिलाडीको अपने अच्छे प्रदर्शन हेतु किसी मूर्तिके समक्ष उसकी पूजा करनी होती है, जिसे लेकर कट्टरपन्थियोंद्वारा इसे इस्लामके विरोध कृत्य घोषित करनेके उपरान्त विवाद उत्पन्न हो गया । उलेमाओंने तो इस खेलपर प्रशासनसे प्रतिबन्ध लगानेकी भी मांग रख दी; क्योंकि उनके अनुसार इस खेलमें मूर्तिपूजन करना इस्लामका उल्लङ्घन है और इससे आनेवाली पीढियोंपर कुप्रभाव पड सकता है ।
       यह तो मात्र खेल है, तो जिहादी विक्षिप्त हो गए हैं और भारतमें तो कोई स्वयंको गर्वसे हिन्दू भी कह दे तो ये और इनके प्रशंसक उनके पीछे पड जाते हैं कि ‘भाईचारे’का सङ्कट है, अब कहां है वह विश्व शान्तिकी भावना ?, जो इनके अनुसार इस्लाम बताता था । इससे यह भी ज्ञात होता है कि जो विक्षिप्त मानसिकताके लोग मात्र खेलमें मूर्तिपूजनको धर्म विरोधी कृत्य मानते हैं, वे अपने राष्ट्रोमें मूर्तिपूजकोकी क्या दुर्दशा करते होंगे ?, यह कल्पना अब आप स्वयं कर सकते हैं । ‘सर्वधर्म समभाव’ कहनेवाले हिन्दुओं, अब जागो ! (०५.०६.२०)
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केरलमें गर्भवती हथिनीकी हत्यापर ‘टाइम्स’ पत्रकार समीना शेखने दिखाई हिन्दुओंसे घृणा
      केरलमें पटाखोंसे भरा अनानास खिलाए जानेके कारण गर्भवती हथिनीकी मृत्युकी घटनापर ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’की पत्रकार समीना शेखने हिन्दुओंके प्रति अपनी घृणा प्रदर्शित की और हिन्दुओंको लज्जित करनेके उद्देश्यसे अपने ‘ट्विटर’पर गणपतिका एक चित्र साझा किया । इस चित्रको साझा करते हुए लिखा, “जिसकी पूजा करते हो, उसीको कष्ट देते हो !” इस छायाचित्रके माध्यमसे समीनाने यह बताना चाहा कि जो लोग गणपति पूजन करते हैं, उन्होंने हथिनीको मारा है !  हिन्दुओंके विरोधके पश्चात समीनाको ‘ट्वीट’ कुछ समय पश्चात ही हटाना पडा । कुछ समय पश्चात समीना स्पष्टीकरण देने हेतु पुनः ‘ट्विटर’पर आई और कहा कि वह चित्र उसे पहले उनके हिन्दू मित्रने साझा किया था; परन्तु वह मुसलमान है तो अन्धभक्तोंने उनका उपहासकर दिया ।
      विचित्र है कि बकरेको खिला पिलाकर उसकी निर्मम ढङ्गसेकी गई हत्याको ‘इबादत’ और ‘कुर्बानी’ बतानेवाले लोग, ७०% मुसलमान जनसङ्ख्यावाले क्षेत्रमें जिहादियोंद्वारा हथिनीके मारे जानेपर हिन्दुओंको लक्ष्य बना रहे हैं और असत्य सिद्ध हो जानेपर स्वयंके मुसलमान होनेका ‘विक्टिम कार्ड’ खेल रहे हैं, यह है इन जिहादियोंका सत्य और हिन्दुओ, ध्यान दें कि ये एक पत्रकार हैं तो विचार करें कि समाजमें कितना झूठ प्रसारित करती होंगी ? सभी हिन्दू इनका मुखर होकर विरोध करें !
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कर्नाटकमें पैगम्बर मुहम्मदके विरुद्ध टिप्पणी करनेपर महिलापर प्राथमिकी प्रविष्ट
    कर्नाटककी कोडागु पुलिसने ‘फेसबुक प्रोफाइल’पर मुसलमानों और पैगम्बर मुहम्मदके विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणी करनेपर विंध्य पूनाचा नामक एक महिलाके विरुद्ध प्राथमिकी प्रविष्ट की है । महिलापर भारतीय दण्ड संहिताकी धारा १५३ (ए) (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदिके आधारपर विभिन्न समूहोंके मध्य शत्रुताको बढावा देना) और १०५’के (सम्पत्तिकी ‘प्राइवेट’ प्रतिरक्षाका अधिकार) अन्तर्गत प्रकरण प्रविष्ट किया गया है ।
    परिवादकर्ता (शिकायतकर्ता) अजीज जीईने कहा कि महिला मुसलमानों और पैगम्बर मुहम्मदके विरुद्ध घृणित और अपमानजनक टिप्पणी ‘पोस्ट’ करती रहती हैं ।
      ठीक है, मान लेते हैं कि विन्ध्याको बन्दी बनाया जाना चाहिए; परन्तु इससे पूर्व पुलिसको यह बताना चाहिए कि देवी-देवताओंका अपमान करनेवाले, रामायण आदि ग्रन्थोंको काल्पनिक बतानेवाले कितने जिहादियों और वामपन्थियोंको बन्दी बनाया गया है ? और यदि नहीं बनाया गया है तो विन्ध्यापर भी कोई अभियोग नहीं बनता है; क्योंकि असमान विधान इस देशके लोकतन्त्रके विरुद्ध है !
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मेरठमें लव जिहाद, जिहादियोंने युवतीको नग्नकर कर किए टुकडे
     मेरठके शाकिबने अपना नाम परिवर्तित करके १९ वर्षीय एकताको अपने जिहादी जालमें फंसाकर हत्याकर दी ! तान्त्रिक विद्या सीखनेके बहाने अथवा अपना धन्धा चलानेके लिए शाकिब लुधियाना आया था । वहां वह अपने मित्रके पास रहकर अपना लक्ष्य ढूंढने लगा । एकता अपने पिताके कार्यमें सहायतार्थ धन अर्जित करनेके लिए कुछ संस्थाओंमें कुछ समयके लिए कार्य करती थी । एकताके मामाके अनुसार, उसे तीव्रग्राहिता (एलर्जी) थी, सम्भवतः इसी कारण वह शाकिब तान्त्रिकसे मिली होगी । शाकिबसे दूर रखनेके लिए, एकताके माता-पिताने शाकिबको समझाने हेतु घर बुलाकर एकतासे नहीं मिलनेके समझाया, उस समय भी शाकिबने हाथपर कलावा बांध रखा था और अपना नाम अमन बताया । शाकिबने व्यापार बढानेके लिए एकतासे उसके घरसे पच्चीस लाख रुपएके आभूषण भी किसी प्रकार मंगवा लिए थे । मेरठमें उनकी स्थिति देखकर एकताने उसके साथ विवाह करनेसे मनाकर दिया । आभूषणोंको हाथसे जाता देखकर शाकिब, उसके पिता तथा भाभियों और अन्य मित्रोंने उसे दूर खेतोंमें घुमाने ले जाकर, अचेत करके उसकी हत्याकर दी तथा उसके कटे हुए शरीरको गन्नेके खेतमें गड्ढा खोदकर छिपा दिया । उसके सिर और बाहें तालाबके पानीमें फेंक दी गईं थीं; क्योंकि उसकी बांहपर एकताके नामका ‘टैटू’ गुदा हुआ था । उसकी एक बांहको भागते हुए कुत्तेके मुखमें देखकर पडोसी शंकर पण्डितको शंका हुई । पुलिसने इसी शङ्काके आधारपर खेत खुदवाया तो शव प्राप्त हुआ । इस शवको गलानेके लिए उसपर बहुतसा लवण (नमक) भी छिडका गया था । सारा भेद छिपानेके लिए जिहादी पुनः लुधियानामें जाकर बैठ गया, जिससे किसीको उसके भागनेकी शङ्का न हो । एकताके चलभाषपर, शाकिब उसके ‘व्हाट्सऐप्प’को भी चलाता रहा । शङ्का होनेपर एकताके परिजनने परिवाद प्रविष्ट कराया । लगभग एक वर्षके पश्चात पुलिसने यह रहस्य उजागर किया ।
     जिहादी तो अपना अधर्म ही निभाएगा; क्योंकि मस्जिदोंसे उसे यही शिक्षा मिली है, अब यह हिन्दू युवतियोंका धर्म और कर्तव्य है कि वह ऐसे लोगोंसे दूर रहें और स्वयंको सुरक्षित रखें ! हिन्दुओंको चाहिए कि वे अपने बच्चोंको इन प्रकरणोंका भेद बताएं, जिससे वे जिहादियोंसे अपना बचाव करनेमें समर्थ हों । (०५.०५.२०२०)
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‘द क्विंट’ने अपने लेखद्वारा भारतमें उपद्रव प्रसारित करनेके लिए लोगोंको भडकाया
     भाजपा नेता कपिल मिश्राने राघव बहलकी ‘द क्विंट’की एक ऐसा पटलचित्र (स्क्रीनशाॅट) ‘ट्विटर’पर साझा करते हुए लिखा है कि किस प्रकार ‘द क्विंट’ भारतके लोगोंको भडकाकर उन्हें सडकोंपर उतरनेके लिए कह रहा है । इसने देशभरमें सहस्रों ‘ईमेल’ भेजकर कहा है कि अमेरिकाकी भांति भारतमें सडकोंपर उतरें और उपद्रव करें ! इसमें एक फलकमें (पोस्टरमें) एक अमेरिका और दूसरी भारतकी एक काल्पनिक घटनाका उल्लेख करते हुए लिखा है कि अमेरिकामें एक अश्वेतद्वारा एक महिलाको कुत्तेका पट्टा बांधनेकी प्रार्थना करनेपर उसे पुलिस बुलानेकी धमकी दी गई, जबकि ‘द क्विंट’के अनुसार भारतमें शाक विक्रय करनेवालोंको व्यथित किया गया और उनपर ‘कोरोना’ प्रसारित करनेका आरोप लगाया गया ।
      हिन्दुओ, ऐसे आतङ्कियोंका विरोधकर इनके प्रसार माध्यमोंको बन्द करवाएं, यही आपकी विजय होगी !
(०५.०६.२०२०)
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देहलीमें ‘सीएए’के विरुद्ध पुनः प्रदर्शनकी ‘सोशल मीडिया’से हो रही पूर्वसिद्धता
     शाहीन बागमें कुछ महिलाएं प्रदर्शन करनेके लिए पहुंच गईं थी; यद्यपि देहली पुलिसने समझाकर उन्हें वापस भेजा । जानकारीके अनुसार ‘कोरोना’ सङ्कटके मध्य देहलीमें पुनः बृहद स्तरपर ‘सीएए और एनआरसी’के विरुद्ध प्रदर्शन आरम्भ हो सकते हैं । इसे लेकर देहली पुलिसको सतर्क रहनेको कहा गया है । देहलीके सभी जनपदके ‘डीसीपी’को सजग रहने और रक्षाबल नियुक्त करनेको कहा गया है । देहलीमें सभी संवेदनशील क्षेत्रोंमें सुरक्षा बढा दी गई है । जाफराबादमें भी भारी पुलिसबल नियुक्त किया गया है, उल्लेखनीय है कि जाफराबादमें विरोध प्रदर्शनमें हिंसा हुई थी ।
       उल्लेखनीय है कि गत कुछ दिवससे शाहीन बागमें सीमित सङ्ख्यामें लोग एकत्र होने आरम्भ हो गए हैं, बैठक भी करते हैं, यद्यपि अभी लोग मार्गपर नहीं बैठ रहे हैं । कुछ लोग ‘व्हाट्सऐप्प’पर गुट बनाकर प्रदर्शनके लिए लोगोको एकत्रकर रहे हैं !
        शासकगणकी असतर्कता मूल्य हिन्दुओंको अपने प्राण देकर देना पडा था । जिहादी ऐसे नहीं मानेंगे, यह शासकगणको मानना होगा और समय रहते कठोर कार्यवाही करनी होगी ! हिन्दुओ, शासकगण तुष्टीकरणमें व्यस्त हैं, आप उनपर कठोर कार्यवाही हेतु दबाव बनाएं; क्योंकि सुरक्षाबलको गोली चलानेकी अनुमति नहीं है और यदि लाठी-डण्डेसे ही मानना होता तो देहलीमें ‘सीएए’के विरोधमें उपद्रव ही न होते !


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