उत्तिष्ठ कौन्तेय


१. देहली दुष्कर्म प्रकरणमें निर्भयाके दोषियोंने फांसीसे बचनेके लिए अब अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालयमें याचिका दी है ! दोषी अक्षय कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्माने ‘इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस’में (आईसीजेमें) फांसीपर रोक लगानेकी याचिका दी है । उल्लेखनीय है कि इन्हें २० मार्च प्रातःकाल ५.३० बजे फांसी होनी है और इससे पूर्व दोषियोंकी फांसी तीन बार टल चुकी है !
    जघन्य अपराध करनेके वर्षों पश्चात न्यायालयके निर्णयके उपरात भी कभी दोषी स्वयं बचनेका मार्ग निकालता है तो अक्भी अधिवक्ता ऐसा करता है, इससे ज्ञात होता है कि आजका समाज कितना बहिर्मुख है !
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२. गुजरात विश्वविद्यालय सीनेट मतदान विजयी होनेके पश्चात कांग्रेस छात्र संगठन ‘एनएसयूआई’के छात्र नेताओंने विश्वविद्यालयके दो प्राध्यापकोंको भ्रमणभाषपर (मोबाइलपर) हत्या करनेकी चेतावनी दी, संस्कृतके लिए अपशब्द कहनेके साथ-साथ छात्राओंको तथा मां सरस्वतीके लिए भी अपशब्द कहे ! उल्लेखनीय है कि गुंडे निरन्तर कह रहे थे कि जिसको बताना है, बता देना ।
     कांग्रेसी संस्कृतिसे पोषित गुंडोंके समूहका यह दुस्साहस दिखाता है कि इन्हें हिन्दूविरोधी शक्तियोंसे संरक्षण प्राप्त है; परन्तु दुःखद यह है कि यह भाजपा शासित राज्यमें हो रहा है ! गुजरात प्रशासन इसपर कठोर कार्यवाही कर छात्रके रूपमें छुपे इन गुंडोंको दण्डित करे और विश्वविद्यालयसे बाहर करे !
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३. सीएए’के विरुद्ध जामिया नगरमें चल रहे विद्रोहकी एक ‘विडियो’ समाजिक जालस्थलपर आई है, जिसमें वृद्धसे लेकर बालकतक प्रदर्शनमें सम्मिलित हैं और विद्रोही स्वरमें स्वतन्त्रताकी मांग कर रहे हैं ! जब पत्रकार वृद्ध महिलासे कहता है कि उन लोगोंको भटकानेके लिए ‘कोरोना’का भय प्रसारित किया जा रहा है तो महिलाने कहा कि उन्हें किसीका भय नहीं है, वे सब हाथ मिला रही हैं, नमाज पढ रही हैं; अत: उन्हें कुछ नहीं होगा । मोदीको होगा; क्योंकि मोदी बाहर जाते हैं ।
    भारत शासनने इन विक्षित मानसिकताके लोगोंको त्वरित दण्डित करना चाहिए; क्योंकि महामारीके कारण इनकी मूढताका परिणाम समूचा नगर या देश भोग सकता है ।
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४. गत वर्ष नागरिक संशोधन विधेयकके विरोधमें हुए प्रर्दशनके मध्य कानपुरके भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ‘आईआईटी’में आज्ञा न होते हुए भी प्रदर्शनका आयोजन किया गया, जिसमें फैज अहमदकी एक कविता पढी गई, जिसका अर्थ है कि सब प्रतिमाएं तोड दी जाएंगीं, केवल अल्लाहका नाम रहेगा ! इसके गायनको लेकर विरोध प्रदर्शन हुआ और जांच कमेटीका गठन किया गया था, जिसने अब ५ अध्यापक व ६ छात्रोंको आरोपी बताया है ।
    आइआइटी सदृश प्रौद्योगिकी संस्थानोंमें अब मुगलिया जिहाद पलने लगा है, यह चिन्ताका विषय है । सम्भवतः यह जिहादियोंको आरक्षण देकर शिक्षित करनेका ही परिणाम है, जो अब हिन्दुस्तानमें इस्लामका शासन पुनः लानेके स्वप्न देख रहा है ! भारत शासन व हिन्दू सचेत हो; अन्यथा देर हो जाएगी !
(१७/०३/२०२०)


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