उत्तिष्ठ कौन्तेय
१. ‘जामिया वर्ल्ड’ नामक फेसबुक पृष्ठपर एक ‘विडियो’ शाहीन बागके लोगोंकी मनोभावनाओंको व्यक्त करता दिखाई दे रहा है, जिसमें जिहादी वक्ता प्रधानमन्त्री मोदीको कह रहा है कि हमारी मां-बहनोंने टीपू सुल्तानको जन्म दिया है और स्वतन्त्रताके ७० वर्ष पश्चात हमसे नागिरकताके साक्ष्य प्रस्तुत करनेको कहना अनुचित है तथा दूसरे विडियोमें अन्य वक्ता रिलायंस व अडानीके आर्थिक बहिष्कार हेतु आग्रहकर ‘लक्ष्मीका पूजन करनेवालोंको ‘कोरोना वायरस’का भय होना चाहिए हमें नहीं’, ऐसा कहता दिखाई दे रहा है !
एक ओर जहां समूचा विश्व विषाणुके कुप्रभावको रोकने हेतु एकजुट हैं तो वहीं दूसरी ओर इन जिहादियोंका हिन्दुओंके प्रति विषवमन जारी है, जो शासन- प्रशासनके दिशा निर्देशोंका भी पालन नहीं कर रहे हैं ! इन गतिविधियोंसे ही भान होता है कि इन देशद्रोहियोंका दमन करना अब कितना अनिवार्य है !
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२. बंगालमें बुधवार, १८ मार्चको ‘कोरोना’का प्रथम प्रकरण सामने आया है । पीडित व्यक्ति १८ वर्षका युवक है, जो कुछ दिवस पूर्व ही ब्रिटेनसे वापस आया है । उल्लेखनीय है कि युवक राज्यके उच्च नौकरशाहका (ब्यूरोक्रेटका) पुत्र है । ऑक्सफॉर्ड विश्वविद्यालयमें पढनेवाले इस छात्रको विमानतलपर ही कहा गया था कि वह १५ मार्चको बेलघाट आईडी चिकित्सालयमें प्रविष्ट हो जाए; परन्तु उसने ऐसा करनेसे मना किया और लोगोंसे मिलता रहा !
यह है बंगालमें विधान और व्यवस्थाकी स्थिति ! जनताके प्रणोंके साथ खेलनेवाले ऐसे नौकरशाहोंको त्वरित पदसे निरस्त करना चाहिए और ऐसे युवाओंको कठोर दण्ड दिया जाना चाहिए !
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३. देशमें संस्कृतके तीन मानद विश्वविद्यालयोंको अब केन्द्रीय विश्वविद्यालयकी श्रेणीमें रखा जाएगा ! सोमवार, १६ मार्चको राज्यसभामें ‘केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय विधेयक – २०१९’ पारित हुआ । मानव संसाधन विकास मन्त्री रमेश पोखरियाल निशंकने कहा कि शासन संस्कृतके साथ ही संविधानकी आठवीं अनुसूचीमें सम्मिलित सभी २२ भारतीय भाषाओंको सशक्त करनेका पक्षधर है ।
संस्कृतको सशक्त करने हेतु मोदी शासनका यह प्रखर निर्णय अभिनन्दन योग्य है और आगामी धर्मनिष्ठ राष्ट्रकी एक झांकी भी दिखा रहा है, जिसमें संस्कृतका भविष्य अत्यन्त उज्ज्वल होगा !
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४. गुरुग्रामकी एक ‘सोसायटी’में कुछ महिलाओने कोरोना विषाणुके फैलनेके पश्चात अपने घरोंके छज्जोंसे (बालकनीसे) गायत्री मन्त्र और ‘हम होंगे कामयाब’ गाया तो इस वीडियोको ‘एनडीटीवी’की पत्रकार सुक्रिती द्विवेदीने अपने ट्विटरपर ‘इटली जैसा दृश्य गुडगांवमें’ बताते हुए इसे ट्वीट किया । विडियो प्रसारित होते ही कुछ वामपन्थियोंने इसे लेकर अनर्गल वक्तव्य दिए और इसे हिन्दू धर्मसे जोड दिया और कुछने कहा कि ये मन्त्र बोलकर आसपासके लोगोंको व्यथित कर रहे हैं, तो इसपर ‘एनडीटीवी’ने तुरन्त इसे हटा लिया !
जब पूरा विश्व इस घातक विषाणुसे लडनेमें सहयोग दे रहा है और अपनी ओरसे कुछ न कुछ कर रहा है, तब भी ‘एनडीटीवी’ सदृश समाचार वाहिनियां और वामपन्थी अपना विष वमन करनेमें लगे हैं, यह लज्जाका विषय है । यदि हिन्दू धर्मसे इतना ही वैर है तो यह विष तब क्यों नहीं उगला, जब समूचा विश्व ‘नमस्ते’ करनेको कह रहा था ?, इसीसे इनका बौद्धिक स्तर ज्ञात होता है ।
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५. हेरिटेज तेलंगाना’ने (तेलंगानाके पुरातत्व विभागका ट्वीटर हैंडल) देवल मस्जिदको लेकर एक ट्वीट किया, जिसमें इसका उल्लेख हिन्दू और इस्लामी वास्तुकला दोनोंकी विशेषतावाले दुर्लभ स्मारकके रूपमें किया गया ! उल्लेखनीय है कि यह देवल एक हिन्दू-जैन मन्दिर था, जिसका निर्माण राष्ट्रकूटके राजा इन्द्र तृतीयने ९वीं और १०वीं शताब्दीमें करवाया था, जिसे मोहम्मद तुगलकने दक्खनमें अपने विजय अभियानके पश्चात मस्जिदका नाम दे दिया ! इसका उल्लेख ‘एमएस मेट’ जैसे कला इतिहासकारने अपनी पुस्तकमें किया है कि कैसे एक विशाल मन्दिर, जिसकी भीतोंपर बने भगवान विष्णुके दशावतार आज भी उसके मन्दिर होनेका साक्ष्य दे रहे हैं, उसे मस्जिदमें परिवर्तित कर दिया गया !
जिन भवनोंको इस्लामिक क्रूर आक्रान्ताओंने हिन्दुओंका रक्त बहाकर मस्जिदोंमें परिवर्तित किया, आज उन्हीं भवनोंको पूर्ववत हिन्दू ढांचा बनाना तो दूर, लज्जाहीन शासकगण उन्हें गंगा-जमुनी संस्कृतिका मेल बताते हैं और उस इस्लामिक क्रूरताको ढकनेका प्रयास करते हैं; अतः स्पष्ट है कि अब रामराज्यकी स्थापना होनेपर ही इन धर्मस्थलोंको पूर्ववत स्थान मिल पाएगा !
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