उत्तिष्ठ कौन्तेय


१. मदनपुर खादनके सुरेन्द्र नामक एक व्यक्तिकी मृत्यु हृदयाघातके कारण तब हुई , जब उसे वाहनद्वारा सफदरजंग चिकित्सालय ले जाते समय शाहीनबागके प्रदर्शनकारियोंने मार्ग रोक रखा था । पीडितको निकटके अपोलो चिकित्सालय तक पहुंचनेमें विलम्ब होनेसे मृत्यु हो गई ! चिकित्सकोंका मानना है कि समयपर पहुंचाए जानेसे मृतकके प्राण बचाए जा सकते थे । उल्लेखनीय है कि सुरेन्द्रकी तीन पुत्रियां थी और अब परिजन हत्याका प्रकरण प्रविष्ट कराएंगें ।
     इस प्रकारसे मार्ग बाधितकर साधारण जनताको मरनेपर विवशकर एक प्रकारसे जिहाद करनेवाले इन लोगोंको अब कठोर दण्ड देनेकी नितान्त आवश्यक हो गया है !; परन्तु शासन मौन है, यह अत्यन्त लज्जाजनक है !
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२. पूर्व लोकसभा सांसद उदित राजने शाहीन बागपर अपना विचार प्रकट करते हुए लिखा कि ‘सीएए’के गम्भीर परिणाम होंगें; परन्तु यह प्रदर्शन लोगोंके लिए एक अनुपालनीय उदाहरण बन गया है, जिसमें मुसलमानोंने बढ-चढकर भाग लिया । प्रथम बार ऐसा हुआ कि ‘सीएए’ विरोधके समय अल्पसंख्यक और बुद्धिजीवी समाजमें डॉ. अम्बेडकरको अपनाया गया । दोनोंकी मित्रता हुई और इसके बडे राजनैतिक और सामाजिक परिणाम अवश्य होनेवाले हैं । उन्होंने लिखा कि दलित-मुस्लिम एकताका प्रयास तो कई बार हुआ; परन्तु बात आगे नहीं बढ सकी । प्राथमिकता प्रायः दलितोंकी ओरसे होती रही है । मुसलमानोंको अम्बेडकरवादी दलितोंसे संवाद करके उन्हें अपने साथ सम्मिलित करना चाहिए ।
      ऐसे लोग न केवल राष्ट्रके, वरन हिन्दुओंके भी शत्रु हैं, जो हिन्दुओंको दलित व स्वर्ण आदि जातियोंमें विभाजित करते हैं और लाभ जिहादी उठाते हैं । हिन्दुओंने ऐसे राष्ट्रद्रोही नेताओंको कडा प्रत्युत्तर देते हुए अब अपनी एकताका बोध इन्हें कराना चाहिए  और शासनने ऐसे नेताओंको कठोरसे कठोर दण्ड देना चाहिए !
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३. उत्तरप्रदेशके अलीगढमें पुलिसने वैश्विक आतंकी हाफिज सईदके नामसे जारी कथित ‘फतवे’के प्रकरणमें अज्ञातके विरुद्घ प्राथमिकी प्रविष्ट की है । उच्च पुलिस अधिकारी अरविन्द कुमारने बताया कि इस प्रकरणकी जांच हम गहनतासे कर रहे हैं । जो ‘फतवा’ वितरित किया गया है, वह अत्यधिक आपत्तिजनक है और साम्प्रदायिक तनाव बढानेवाला हो सकता था !
      जिन्हें आश्रय देकर भाईचारेके नामपर बैठाया, वे अब पाकिस्तानमें बैठे आतंकीके नामसे ‘फतवे’ निकाल रहे हैं ! अन्ततः कब तक हिन्दुस्तान इस कथित भाईचारेके नामपर आतंकको ढोता रहेगा और भागता रहेगा ?; इसलिए अब हिन्दू राष्ट्र अनिवार्य है !
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४. गुरुवार, १९ मार्चको बांग्लादेशसे पहुंचे कुछ छात्रोंने श्रीनगरमें ‘कोरोना’की जांच करानेसे मना ही नहीं किया, अपितु श्रीनगर विमानतलके ‘रिसेप्शन’पर तोडफोड भी की ! कर्नाटक राज्यमें भी दुबईसे लौटे चार युवकोंने यह कहते हुए कि इस्लाम जांचकी आज्ञा नहीं देता, जांच करवानेसे मना किया ! इसके पश्चात पुलिसने छात्रोंको बन्दी बनाकर ‘कोरोना जांचके लिए स्थानीय नियत केन्द्रोंमें भेज दिया ।
    भारत शासनको त्वरित इन इस्लामपरस्त मानसिकताके जिहादियोंको देशमें आनेपर रोक लगानी होगी और वहां भेजना चाहिए, जहां इनके कथित इस्लामके नियमोंका पालन होता हो; अन्यथा यदि एक भी बचकर निकलता है तो वह सभीमें रोगका संक्रमण करेगा !


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