उत्तिष्ठ कौन्तेय


१. निर्मम हत्याके पश्चात मिला पंजाबमें सन्तका गीला सडा शव
   पंजाबके काठगढ थाना क्षेत्रमें पुनः एक सन्त महायोगेश्ववरजीकी हत्याकर दी गई है । यह ८५ वर्षीय सन्त हिमाचल प्रदेशके रहनेवाले थे और पिछले ४० वर्षोंसे इसी आश्रममें रह रहे थे
 । सन्तका एक शिष्य जगदीशलाल जब उनके लिए आहार लेकर आश्रम पहुंचा तो वहांपर उसे भारी दुर्गन्ध अनुभव हुई । आश्रमके भीतर झांकनेपर सब कुछ अस्त-व्यस्त पाया और सन्तको भूमिपर मृत पाया । शिष्यद्वारा पुलिसको सूचित करनेपर, थाना प्रभारीने उसे मृत एवं गला-सडा घोषित करके शव-परीक्षालयके लिए भेज दिया । सन्तके भाई दिनेश कुमारके परिवादपर प्रकरण प्रविष्ट किया गया । उसके अनुसार गृहबन्दीके कारण श्रद्धालुओंका आवागमन अति न्यून हो चुका था तथा आश्रमकी तीन एकड भूमिपर अनुचित अधिकार करने हेतु ऐसी हत्याकी शंका की जा सकती है । पुलिस प्रभारीने इसे लुटेरोंद्वारा द्वार तोडकर लूटपाट करनेके साथ, हत्या करनेकी आशंका जताई । इससे पहले भी पालघरमें तीन अन्य लोगों सहित दो साधु सन्तोंकी निर्मम हत्याकर दी गई थी, जिसका दृष्यपट तीन दिनोंके पश्चात देखनेमें आया और इसकी सच्चाई जानी जा सकी । सन्तोंकी ‘माब लीचिंग’के प्रकरणमें अखिल भारतीय सन्त समितिने भी गृहमन्त्री अमितशाहको पत्र भी लिखा था, जिसमें उन्होंने ‘सीबीआई’द्वारा जांच करानेकी मांग की थी और दोषियोंको दण्ड दिलानेकी मांग की थी । उसके अतिरिक्त उतरप्रदेशमें भी एक सन्तकी हत्या की गई थी ।
  सन्तोंकी हत्याका प्रकरण भी भारतमें जिहादका एक घटक है, जिससे देशमें अराजक तत्त्वोंके प्रवेशका प्रकटीकरण दिखाई देता है । जिहादियोंके तुष्टीकरणके फलस्वरूप ऐसा होना सामान्य बात हो चुकी है । ऐसे दोषियोंको त्वरित फांसीका दण्ड दिया जाना चाहिए । (१९.०५.२०२०)
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२. पाक अधिकृत कश्मीरकी सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण और भयादोहनसे प्रताडित महिलाने खोली पोल
   पाक अधिकृत कश्मीरकी सच्चाईको सामने लाता एक ‘वीडियो’ ‘सोशल मीडिया’पर सामने आया, जिसमें एक महिला स्वयंको भीमभर क्षेत्रका बात रही है और उसने सामूहिक दुष्कर्म, अपहरण और ‘ब्लैकमेलिंग’ जैसे कष्ट सहन किए हैं । ‘वीडियो’में महिला कहती है कि २०१५से ही वह न्यायकी मांगकर रही है; परन्तु सामूहिक दुष्कर्म करनेवाले हारून रशीद, सलम हारून, वकार अशरफ और तीन अज्ञात लोग सम्मिलित हैं । इनके अपराध स्वीकार करनेके पश्चात भी इनपर कोई कार्यवाही नहीं हुई । जब यह न्याय मांगने गई तो पुलिसने प्रकरण पंचायतको दे दिया और अपराधियोंद्वारा अपराध स्वीकार करनेके पश्चात भी बन्दूकके बलपर उससे सन्धिपत्रपर हस्ताक्षर करवाए गए । महिलाके अनुसार आरोपियोंने सामूहिक दुष्कर्मका ‘वीडियो’ बनाकर उसके परिवारवालोंको धमकाकर १० लाख रुपएकी मांग की । जब परिवारवालोंने पैसे देनेसे मना किया तो उन्होंने उसके पुत्रका अपहरण करके १५ लाख रुपयोंकी मांग की । महिलाने वहांके न्यायाधीशको कई पत्र भी लिखे । जब उन्होंने उसे जांचके लिए बुलाया तो उससे कहा कि तुम विवाहित हो, ऐसेमें बलात्कार होता है तो ये कोई बडी बात नहीं है ।
   इस प्रकरणसे स्पष्ट होता है कि धर्मान्धोंके लिए एक महिलाके आत्मसम्मानका कोई मूल्य नहीं है । वह चाहे कितने बडे पदपर ही क्यों न हो ? ऐसे धर्मान्ध समाजके लोग स्त्रीको केवल भोगकी वस्तु मात्र समझते हैं । (१८.०५.२०२०)
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३. छात्रों-अध्यापकोंका ‘व्हाट्सएप ग्रुप’ बनाकर अश्लील ‘वीडियो’ भेजनेके आरोपमें इंजमामुल और रहमत बन्दी, फिरोजने किया पलायन
   इंजमामुल हक, रहमत अली और फिरोज गोपने मिलकर ‘मिया खलीफा पॉश’ नामका नया ‘व्हाट्सएप ग्रुप’ बनाया । इसके पश्चात उन तीनोंने १४ मईको उच्च विद्यालयके एक छात्र मोजाबिरसे सभी छात्रों और शिक्षकोंके सम्पर्क क्रमांक लिए ! तत्पश्चात इन तीनों आरोपियोंने १५ मईको विद्यालयके सभी छात्र-छात्राओं और शिक्षकोंको ‘वीडियो’ भेजने आरम्भकर दिए । झारखंडके पश्चिमी सिंहभूम जनपदके राजकीय ‘प्लस २’ उच्च विद्यालय मझगांवके प्रभारी प्रधानाध्यापक धीरेन्द्र कुमार तिवारीद्वारा थानेमें लिखित परिवाद किए जानेके उपरान्त ‘ग्रुप एडमिन’ समेत दो लोगोंको न्यायिक हिरासतमें भेज दिया है । कारावास भेजे गए दोनों आरोपियोंके नाम इंजमामुल हक उपाख्य बादशाह खान (२० वर्ष) और रहमत अली (२१ वर्ष) हैं । सम्प्रति इनका एक  साथी पलायनकर चुका है अर्थात फरार है, जिसका नाम फिरोज गोप है ।
   क्या एक हाथमें कुरान और एक हाथमें ‘कंप्यूटर’ देनेकी अनुशंसा करनेवाले मोदीजी इन धर्मान्ध जिहादियोंकी मानसकिता समझेंगे और तुष्टीकरण करना बन्द करेंगे ? हिन्दुओ ! समय रहते शासन और प्रशासनसे प्रत्येक मंचपर इसका विरोध करो, जिससे इन जिहादियोंको समुचित दण्ड मिल सके । (१७.०५.२०२०)
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४. हिन्दुओंकी आपणिसे (दुकानसे) मुसलमान महिलाओंके वस्तुएं क्रय करनेपर मिली धमकी, मध्यमार्गपर ‘गुंडों’ने घेरा 
  कर्नाटकके दावणगेरे जनपदसे सामाजिक जालस्थलपर एक ‘वीडियो’में चौंकानेवाली घटना सामने आई है । जिसमें स्पष्ट दिखाई देता है कि रमजानके माहमें जैसे ही हिन्दुओंके स्वामित्ववाली एक लोकप्रिय वस्त्रकी ‘दुकान’ ‘बीएस चन्नबसप्पा एंड संस’से बुर्का पहने मुसलमान महिलाएं बाहर निकलती हैं, आक्रमक लोग उनसे पूछ रहे हैं कि मुसलमानोंकी ‘दुकान’ होते हुए हिन्दुओंकी ‘दुकान’से सामग्री क्यों क्रयकर रही हैं ? इसके अतिरिक्त केसरिया ‘बैग’ लेनेके लिए महिलाओंसे अभद्र व्यवहार किया गया । पुलिस अधीक्षकने बताया कि दो लोगोंको इसके लिए बन्दी बनाया गया है ।
    इसीसे स्पष्ट होता है कि मुसलमानोंके मनमें हिन्दुओंके लिए कितनी घृणा है और हिन्दू ‘भाईचारे’का राग आलापते हैं । इस प्रकरणके लिए प्रशासनको कडी कार्यवाही करनी चाहिए । साथ ही हिन्दू भी इस प्रकरणसे सीखें और सतर्क रहें ! (१८.०५.२०२०)
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५. अपनी हिन्दू पत्नीको गोमांस खाने और मुसलमान बनानेके लिए विवश करते हुए नफीसने की प्रताडना 
  देहलीके बुराडी गांवकी हिन्दू नेहाने अपने मुसलमान पति नफीसपर प्रताडनाका आरोप लगाया है । नेहाका कहना है कि उसका पति विवाहके कुछ दिवस पश्चात ही मारपीट करने लगा और गोमांस खाने तथा ‘नमाज’ व ‘रोजा’ रखनेके लिए विवश करने लगा । साथ ही व खाना नहीं देता था । सौम्यदीप्तने ‘ट्वीट’द्वारा उसका दृश्यपट प्रेषित किया है । नेहाके अभिवक्ता करुणेश शुक्लाने उसकी प्राथमिकी’ प्रविष्ट कराई है, इससे पहले बुराडी पुलिसने नेहाद्वारा प्राथमिकी प्रविष्ट करनेको अस्वीकृतकर दिया था । नेहाको अब पता चला है कि नफीस पहलेसे ही विवाहित है । पहले बेटा होनेपर नफीसने उसे कुछ नहीं कहा, जबकि दूसरी बेटी होनेपर मारपीट आरम्भकर दी और वह विवाहित जीवन बचानेके लिए सहती रही । वह अपनी बेटीके लिए व्यय भी नहीं देता है । नफीसने उसे ‘बन्दूक’से मार डालनेकी धमकी भी दी है । नेहा अभी माता पिताके घरपर रह रही है, जबकि नफीस कहां है ? यह किसीको ज्ञात नहीं । नफीसके परिवारकी ओरसे उन्हें सतत धमकाया जा रहा है, यहांतक कि पाकिस्तानसे भी उन्हें भद्दे भद्दे अपशब्दोंके साथ धमकाया जा रहा है । नफीसका भाई आमआदमी दलका सदस्य है । नफीसने उसे कहा है कि वह तो धनके बलपर बाहर आ जाएगा, तब नेहा क्या करेगी ?  घरपर पानी पहुंचानेवालोको भी नफीसने पानी देनेसे मना किया है और प्राथमिकी’ निरस्त नहीं करनेपर हानि पहुंचानेकी धमकी दी है । वह नेहाको कहता है कि तुम गोमांस खाओ, तभी तुम पक्की मुसलमान बनोगी ।
   धर्माभिमानके अभावमें मुसलमानोंसे विवाह करनेपर यही परिणाम भुगतना पडता है, जो कि आजकी नवयुवतियोंकी समझमें नहीं आता है । सांपोंकी वृत्ति तो विष ही उगलना होता है; अतः ऐसे जिहादियोंसे बचना चाहिए और हिन्दू युवतियोंको अपने माता पिताकी इच्छानुसार सनातन धर्मीसे ही विवाह करना उचित है । साथ ही ऐसे अधम मानसिकतावाले जिहादियोंको भी भारी दण्ड मिलना वांछित है । (१९.०५.२०२०)
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६. मुम्बई पुलिसके अमोल कुलकर्णीके लिए घातक प्रमाणित हुई उद्धव शासनकी उदासीनता, चिकित्सा वाहन अर्थात एंबुलेंस न मिलनेसे हुई मौत : पत्रकारका रहस्योद्घाटन
    महाराष्ट्रमें १ सहस्रसे अधिक पुलिसकर्मी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं । महाराष्ट्र टाइम्सके पत्रकार चोरमारेने कोरोना योद्धाओंके प्रति महाराष्ट्र शासनकी उदासीनतापर चकित करनेवाला रहस्योद्घाटन किया है । उन्होंने महाराष्ट्र शासनपर आरोप लगाते हुए कहा है कि मुम्बईमें कोरोनाके प्रकोपमें अतिशय वृद्धि हुई है । ऐसेमें कर्मचारियोंका जीवन संकटमें है । इस महामारीके कारण मृत्युकोही वरण करना पडे तो ‘कमसे कम’ उन्हें अपने घरोंतक सम्बन्धियोंके पास तो जाने दे यह शासन ! पुलिस अधिकारी अमोल कुलकर्णीकी कोरोनासे हुई मृत्युके सन्दर्भमें वे लिखते हैं कि पुलिसकी स्थिति अति दयनीय है । धारावी जैसे संवेदनशील परिसरमें कार्यरत अमोल कुलकर्णीको १० या ११ अप्रैलको ज्वर आया । वे सायन चिकित्सालय गए तो उन्हें घरपर ही एकान्तवासमें रहनेको कहा गया । दिनांक १२ अप्रैलको उन्होंने कोरोनाकी जांच करवाई । जिसका परिणाम १५ अप्रैलकी रात्रिको आया कि उन्हें कोरोना संक्रमण है । उसी रात्रिको वे अतिशय अस्वस्थ हो गए । उन्हें अस्पताल ले जाने हेतु चिकित्सालयका वाहन (एम्बुलेंस ) उपलब्ध नहीं हुआ । जब प्रातः वाहन उपलब्ध हुआ तो उन्हें चिकित्सालय ले जाया गया । तबतक वे प्राण त्याग चुके थे । उनकी मृत्यु कोरोनासे हुई थी; परन्तु मृत्युप्रमाणपत्रमें उनकी मृत्युका कारण उच्च रक्तचाप तथा उच्च रक्तशर्करा बताया गया ।
   कोरोनाकी पुष्टि होनेका परिणाम ५ दिनों उपरान्त आना, शिथिल कार्यक्षमता दर्शाता है । परिणाम शीघ्र आता तो उनका उपचार सम्भव था । कोरोना योद्धाओंके साथ अतिशय संक्रमित महाराष्ट्रमें यह व्यवहार भयावह है । (१८.०५.२०२०)
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७. महाराष्ट्र शासनने चिकित्सकोंके वेतनमें कटौती की
   महाराष्ट्र शासनने देशमें जारी गृहबन्दीके मध्य कोरोना महामारीसे जूझ रहे चिकित्सकोंके वेतनमें कटौतीकर दी है । बताया जा रहा है कि राज्यके उद्धव शासनने सतत गिरती अर्थव्यवस्थाके उपरान्त यह निर्णय लिया है ।
‘मुंबई मिरर’के अनुसार कुछ विभागोंमें ५० प्रतिशततक की कटौती की गई है । इसके कारण मुंबई महानगरपालिकाकी ओरसे संचालित चिकित्सालयोंमें कार्य करनेवाले चिकित्सकोंको भारी कष्टोंका सामना करना पड रहा है ।
इसपर महाराष्ट्रके शासकीय चिकित्सा अधिकारियोंके संगठनकी उत्तरी इकाईके अध्यक्ष जरमान सिंह पदवीने कहा, “मैं २० वर्षोंसे स्वास्थ्य विभागमें पूरी निष्ठाके साथ कार्यकर रहा हूं । मार्चके महीनेमें मेरा पारिश्रमिक आधा कटा और अभीतक अप्रैलका पारिश्रमिक (वेतन) नहीं मिला है ।”
वहीं महाराष्ट्र ‘एसोसिएशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स’के अध्यक्ष राहुल वाघने कहा कि मुम्बई नगरमें चिकित्सकोंके वेतनमें ३० से ४०% की कटौती की गई है । बता दें कि ऐसे समयमें, जब राज्यमें कोरोना रोगियोंकी संख्या सबसे अधिक तीव्रतासे बढ रही है, कोरोना योद्धाके रूपमें कार्यकर रहे चिकित्सकोंके वेतनमें कटौती करनेसे उनके मनोबलमें गिरावट आना स्वाभाविक है । इसलिए राज्य शासनके लिए यह निर्णय चिन्ताका कारण होना चाहिए ।
    देशमें सबसे अधिक कोरोनाके रोगी महाराष्ट्र राज्यमें ही हैं । वहीं मुम्बईमें यह महामारी द्रुतगतिसे फैल रही है । इस महामारीके प्रकोपसे सबसे अधिक मृत्यु भी महाराष्ट्रमें हुई हैं । उद्धव शासन अपनी अर्थव्यवस्थाको सम्भालने हेतु कुछ और निर्णय ले सकती था । अपने सांसदो एवं विधायकोंके वेतनमें पूर्ण रूपसे कटौती करके व भोगविलासकी वस्तुओंपर अतिरिक्तकर लगाकर भी अर्थव्यवस्थाको सुदृढ करते । (१९.०५.२०२०)
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८. बेंगलुरुके पुलिस आयुक्त भास्कर राव गृहबन्दीमें गिरजाघर पहुंच, ईसाई पादरियोंके मध्य गा रहे हैं गीत 
  सामाजिक जालस्थलपर बेंगलुरुके पुलिस आयुक्त भास्कर रावका एक ‘वीडियो’ साझा हो रहा है, जिसमें वे गृहबन्दीके नियमोंका उल्लंघनकर सेंट मार्क कैथेड्रल नामक गिरजाघरमें ईसाई पादरियोंके मध्य गीत गाते दिखाई दे रहे हैं । समाचारके अनुसार यह प्रकरण पिछले सप्ताहका है, जब भास्करराव अन्य पुलिस अधिकारियों व अतिरिक्त पुलिस आयुक्त सौमेंदु मुखर्जी सहित गिरजाघर पहुंचे तथा वहां प्रार्थनाकर गीत गाते दिखाई दिए । ‘डेक्कन हेराल्ड’ नामक समाचारपत्रद्वारा उनसे इसका कारण पूछनेपर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे सभी धार्मिक स्थलोंका भ्रमणकर, कोरोना महामारीसे युद्ध हेतु आशीर्वाद मांग रहे हैं ।
   जब प्रत्येक धार्मिक स्थलोंको महामारीके मध्य बन्दकर दिया गया है व समस्त गीत मण्डलियोंपर प्रतिबन्ध लागू है तो क्या इस प्रकार की कृति करना महामारीके नियमोंका उल्लंघन नहीं हुआ ? जो अधिकारी स्वयं ही नियमोंका पालन नहीं करते, वे समाजसे विधानपालन कैसे कराएंगे ? ऐसे अधिकारियोंपर अति शीघ्र दण्डनीय कार्यवाही होनी चाहिए, जिससे ऐसे प्रकरण पुनः घटित न हों !
(१९.०५.२०)
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