वैदिक संस्कृतिमें प्रचलित वस्त्र धारण करें !


यदि कोई आपको एक हाथवाला कुर्ता धारण करने हेतु कहे तो आप उसे क्या कहेंगे, कोई आपको फटी हुई साडी भारी मूल्योंमें क्रय करने हेतु कहे तो आप क्या करेंगे ? यदि कोई आपको आडे-टेढे कटे हुए वस्त्र धारण करने दें, तो आप क्या करेंगे ? किन्तु पाश्चात्य वस्त्रोंमें यह सब होना ‘फैशन’ है ! आजका हिन्दू ऐसे वस्त्र पहननेमें गर्व अनुभव करता है, वस्तुत: ऐसे पाश्चात्य वस्त्र तमोगुणी होते हैं; इससे हमारे मन एवं बुद्धिपर सूक्ष्म काला आवरण निर्माण होता है, जिससे शीघ्र निर्णय न ले प पाना, स्मरणहीनताके साथ ही अनेक शारीरिक और मानसिक रोग निर्माण होते हैं; अतः उन्हें धारण करनेके स्थानपर सात्त्विक, पारम्परिक वैदिक संस्कृतिमें प्रचलित वस्त्र धारण करें !



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