माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः।प्रनु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामादितिं विधिष्ट ।।
वेदोंमें गाय रुद्रोंकी माता, वसुओंकी पुत्री, अदितिपुत्रोंकी बहन और घृत रूप अमृतका भंडार है। अतः प्रत्येक विचारशील पुरुषको मैंने यही समझाकर कहा है कि निरपराध एवं अवध्य गौका वध न करें।
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