विदेशसे भारतीयोंको लानेका क्रम शासनने अभी भी नहीं रोका !
इस देशके शासनने अभी भी विदेशसे भारतीयोंको लानेका क्रम नहीं रोका है । कल भी कोरोनासे अत्यधिक प्रभावित देश ईरानसे भारतीयोंको लाया गया और सेनाके संरक्षणमें कुछ दिवसके लिए रखा गया है । क्या हमारे सैनिकोंको उन्होंने अमृत दिया है जो ऐसे आगंतुकोंसे उन्हें कोरोनासे कष्ट नहीं होगा ? समाचार सूत्रोंसे ज्ञात हो रहा है कि हमारी सेनाके तीन सैनिकोंको कोरोनासे संक्रमित पाया गया है । इस देशमें यह क्या हो रहा है ?, शासनके ऐसे कुकृत्योंके विषयमें कोई कुछ बोलता क्यों नहीं ?, यह कैसी अन्धभक्ति है ?, क्या इस देशके शासनकर्ताओंको ज्ञात नहीं है कि मात्र इटलीमें ६० चिकित्सक इस रोगकी चिकित्सा करते समय कालके गालमें समा गए ।
जिन्हें विदेशकी पढाई बहुत उच्च स्तरकी लगती थी, उन्हें थोडे समय वहीं छोडना चाहिए, जो घूमने गए हैं, वे थोडे दिन वहांके रज-तमको भी भोगें और जो तीर्थयात्रा करने गए हैं, तो उन्हें भी अपने आराध्यके पास वहीं रहने दें ! इस देशके शासनकर्ताओंके मूढ एवं प्रदर्शनयुक्त निर्णयके कारण हम भारतीयोंको आनेवाले समयमें बहुत बडा मूल्य चुकाना होगा, जिसका पाप शासनकर्ताओंको निश्चित ही भोगना होगा । जैसे ही ज्ञात हुआ कि यह छुआछूतका रोग विदेशमें फैल रहा है और वहांसे आनेवाले भारतीय भी इससे निश्चित ही प्रभावित होंगे, ऐसेमें यदि उसी समय विदेशसे एक भी व्यक्तिको भारत नहीं आने दिया जाता तो आज देशमें यह प्रतिबन्ध नहीं लगाना पडता ।
भारतमें पिछले दो ढाई माहमें १५ लाखसे अधिक लोग विदेशसे आए हैं और शासनके पास न ही इनकी व्यवस्थित जानकारी है और न ही उन्हें एकाकी रहने हेतु तत्काल कुछ प्रयास किया गया है, शासनके इस मूर्खतापूर्ण अदूरदर्शी निर्णयका परिणाम अब हम सभी भोग रहे हैं और विशेषकर वे १० कोटि निर्धन दिहाडी श्रमिक ! (३०.३.२०२०)
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