जब सीता माताके आभूषणका अभिज्ञान करने हेतु भगवान श्री रामने लक्ष्मण से कहा , तो लक्ष्मण अपने जितेंद्रियन्ताका परिचय देते हुए कहा कि मैं उनके मात्र उनके नूपुरका अभिज्ञान कर सकता हूं; क्योंकि मेरी दृष्टि मात्र उनके चरणोंपर रहती थी ! ऐसी है हमारी दैवी संस्कृति जिसका पाश्चात्यों और धर्मान्धोंके इस देशमें आक्रमणने नष्टप्राय कर दिया है, आएं, इसे पुनर्जीवित करनेका संकल्प लें – तनुजा ठाकुर
आपकी सभी पोस्ट बहुत मुल्यवान है