लक्ष्मणकी जीतेंद्रियता


जब सीता माताके आभूषणका अभिज्ञान करने हेतु भगवान श्री रामने लक्ष्मण से कहा , तो लक्ष्मण अपने जितेंद्रियन्ताका परिचय देते हुए कहा कि मैं उनके मात्र उनके नूपुरका अभिज्ञान कर सकता हूं; क्योंकि मेरी दृष्टि मात्र उनके चरणोंपर रहती थी ! ऐसी है हमारी दैवी संस्कृति जिसका पाश्चात्यों और धर्मान्धोंके इस देशमें आक्रमणने नष्टप्राय कर दिया है, आएं,  इसे पुनर्जीवित करनेका संकल्प लें  – तनुजा ठाकुर



One response to “लक्ष्मणकी जीतेंद्रियता”

  1. श्री. संतोष मांडोळे says:

    आपकी सभी पोस्ट बहुत मुल्यवान है

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