पाप करनेसे पहले उसके फलके विषयमें एक बार विचार अवश्य करें !


कुछ अधर्म करनेवालोंको लगता है कि एक ओर अधर्म करेंगे और और दूसरी ओर पूजा पाठ, नामजप, दान पुण्य करेंगे तो पाप कट जाएगा ! ऐसे लोगोंने यह बात स्पष्ट रूपसे ध्यान रखनी चाहिए कि अच्छे कर्मका फल पुण्यके रूपमें मिलता है और बुरे कर्मका फल पापके रूपमें मिलता है । चित्रगुप्त जो इस सृष्टिका लेखा-जोखा रखते हैं, वे अर्जित पापको पुण्यके कारण भूलते नहीं हैं ! अर्थात पापकर्मके कारण रोग, शोक और क्लेश भोगने ही पडते हैं और अर्जित पुण्यके कारण आपको सुख, ऐश्वर्य या सन्त संग मिलता है; इसीलिए एक धनी व्यक्ति रोगी होते हुए आपको दिखाई देता है, धनी वह अपने पुण्यके कारण है और रोगी अपने पापकर्मोंके कारण !
ख्रिस्ताब्द २०१३ में मैं अपने पारपत्रके (पासपोर्टके) कुछ कार्यसे झारखण्डके गोड्डा जनपदमें एक पुलिस ‘स्टेशन’में गई थी । वहां एक पुलिस अधिकारी गलेमें धारण चार रुद्राक्षकी माला एवं बडा सा त्रिपुण्ड धारण किए हुए था; किन्तु वह किसी वाहनमें कुछ अनुचित सामग्रीके होनेपर किसीसे उत्कोचकी (घूसकी) मांग भ्रमणभाषपर कर रहा था । समय आनेपर ऐसे सभी भ्रष्ट व्यक्तियोंको यथोचित कार्यवाही की जाएगी; किन्तु तबतक सभी भ्रष्ट व्यक्तियोंको एक सन्देश देना चाहूंगी –
जो कर्मफलका सिद्धान्त जानते हुए और ईश्वरकी सत्ताको मानते हुए जान बूझकर पाप करता है, उसे ईश्वरीय विधान अनुसार एक नास्तिकसे अधिक कठोर दण्ड दिया जाता है; अतः तथाकथित भक्तो ! पाप करनेसे पहले उसके फलके विषयमें एक बार विचार अवश्य करें !



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