बुद्धिप्रामाण्यवादियोंद्वारा धर्मविरोधी वक्तव्य करना, यह धर्मद्रोह !


धर्म, पञ्चज्ञानेंद्रिय, मन तथा बुद्धिके परे है । ऐसा होते हुए बुद्धिप्रामाण्यवादियोंद्वारा धर्मविरुद्ध वक्तव्य किया जाना, मात्र अज्ञानदर्शक न होते हुए, धर्मद्रोह है । यह उसी प्रकार है, जैसे कोई विद्यालयीन विद्यार्थी किसी पदवीधारकपर उसके ज्ञानके सन्दर्भमें टीका करे । – (परात्पर गुरु) डॉ . जयंत आठवले



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