आतिथ्यसत्कार प्रेमको अभिव्यक्त करनेका एक सुन्दर माध्यम है, जो कभी-कभी आये और उसका भी प्रेमपूर्वक जो सत्कार न कर सके तो अपने साथ रहनेवालोंके साथ कैसे प्रेम कर सकते हैं, हमारी संस्कृतिमें आतिथ्य सत्कारको पंच महायज्ञोंमें से एक यज्ञ माना गया है और अतिथि कौन है जो बिना निमंत्रणके आये और हम उसका स्वागत करें | आज तो आतिथ्य सत्कार एक प्रदर्शन मात्र रह गया है, लोग आग्रह पूर्वक समय देकर अपने घर में मित्रोंको बुलाते हैं और अपने धन संपत्ति और गुणोंका प्रदर्शन करते हैं ! और बिन बुलाये आतिथिको देखकर आजकी स्त्रियोंके तो भृकुटी चढ जाती है अब ऐसे स्त्रियोंके घरसे लक्ष्मी चली जाए तो इसमें आश्चर्य कैसा !! -तनुजा ठाकुर (८.3.२०१४)
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