गुरु संस्मरण

 श्रीगुरुसे प्रत्यक्ष एवं प्रथम साक्षात्कारके समय उनकी सर्वज्ञतासे सम्बंधित हुई अनुभूतियां


गुरु संस्मरण   १. श्रीगुरुसे प्रत्यक्ष प्रथम साक्षात्कार : जिस दिन मैं उनके प्रथम दर्शन करने गई थी, उस दिवस अर्थात् २१ मई १९९७ को भारत और पाकिस्तानका एक-दिवसीय ‘क्रिकेट’ क्रीडा(खेल) थी, अन्य युवा-वर्गके समान मुझे भी ‘क्रिकेट’ देखनेमें अत्यधिक रुचि थी l क्रीडा दिवस-रात्रिका था, मैं कार्यालयसे घर आकर दूरदर्शन-संचपर यह क्रीडा(खेल) देख रही […]

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रेडियोके माध्यमसे सिखाया वर्तमानमें रहना


सगुण गुरुके निर्गुण निराले माध्यम इस लेखकी विभिन्न कडियोंमें हमारे श्रीगुरुने किन भिन्न-भिन्न माध्यमोंसे मुझे अध्यात्मकी शिक्षा दी, वह प्रस्तुत करनेका प्रयास करना चाहुंगी, इससे यह समझमें आएगा कि गुरु अपने शिष्यको कहीं भी और किसी भी माध्यमसे ज्ञान देनेमें सक्षम होते हैं और इसलिए गुरुको सर्वज्ञानी और सर्वशक्तिमान तत्त्वके रूपमें शास्त्रोंमें उल्लेख किया गया […]

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सर्वज्ञ होनेके कारण श्रीगुरुका मेरे जीवनमें आगमनसे पूर्व साधना करवा कर लेना


गुरु संस्मरण सद्गुरुको मात्र स्थूल देह समझनेकी भूल न करें, वे एक सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान एवं सर्वव्यापी तत्त्वके प्रतिनिधि होते हैं ।  स्थूल रूपमें देहधारी गुरु अपनी इस विशेषताका परिचय, अपने शिष्यको उसकी पात्रता एवं श्रद्धानुसार अनुभूतियोंके माध्यमसे देते हैं । ख्रिस्ताब्द १९९७ में परम पूज्य गुरुदेवके प्रथम दर्शनके पश्चात् उन्होंने अनेक अनुभूतियां प्रदान कीं । यथार्थमें […]

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